केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं और सभी से सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करने और एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और विकसित देश की ओर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
शाह ने कहा कि हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर दक्षिण के विशाल समुद्र तटों तक, रेगिस्तान से लेकर बीहड़ जंगलों और गांवों की चौपालों तक, भाषाओं ने हर परिस्थिति में मनुष्य को संगठित रहने और संचार एवं अभिव्यक्ति के माध्यम से एकजुट होकर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की भाषाओं की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उन्होंने हर वर्ग और समुदाय को अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान किया है।
उन्होंने हिंदी दिवस के अवसर पर अपने संदेश में कहा, "हमारा देश मूलतः भाषा-प्रधान राष्ट्र है। हमारी भाषाएं संस्कृति, इतिहास, परंपराओं, ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम रही हैं।"
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि भाषाएं एक-दूसरे की सहचरी बनकर तथा एकता के सूत्र में बंध कर एक साथ आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा, "हिंदी दिवस के इस अवसर पर, आइए हम हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करें और एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और विकसित भारत की ओर आगे बढ़ें।"
शाह ने कहा कि "साथ-साथ चलना, साथ-साथ सोचना और साथ-साथ बोलना" भारत की भाषाई-सांस्कृतिक चेतना का मूल मंत्र रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में बिहू के गीत, तमिलनाडु में ओवियालु की आवाज, पंजाब में लोहड़ी के गीत, बिहार में विद्यापति के छंद, बंगाल में बाउल संतों के भजन, कजरी गीत और भिखारी ठाकुर का 'बिदेसिया' - इन सभी ने देश की संस्कृति को जीवंत और कल्याणकारी बनाए रखा है।
गृह मंत्री ने कहा कि संत तिरुवल्लुवर के पद दक्षिण में उतनी ही श्रद्धा से गाये जाते हैं जितनी कि उत्तर में रुचि से पढ़े जाते हैं और कृष्णदेवराय दक्षिण में भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने कि उत्तर में।
उन्होंने कहा, "सुब्रमण्यम भारती की देशभक्तिपूर्ण रचनाएँ हर क्षेत्र के युवाओं में राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाती हैं। गोस्वामी तुलसीदास प्रत्येक भारतीय के लिए पूजनीय हैं और संत कबीर के दोहे तमिल, कन्नड़ और मलयालम में अनुवादित हैं।"
शाह ने कहा कि सूरदास की कविताएं आज भी दक्षिण भारत के मंदिरों और संगीत परंपराओं में प्रचलित हैं। उन्होंने कहा, "असम के श्रीमंत शंकरदेव और महापुरुष माधवदेव को हर वैष्णव जानता है और भूपेन हजारिका के गीत हरियाणा के युवा भी गुनगुनाते हैं।"
गृह मंत्री ने कहा कि गुलामी के कठिन दौर में भी भारतीय भाषाएं प्रतिरोध की आवाज बनीं। उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता आंदोलन को राष्ट्रव्यापी बनाने में हमारी भाषाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने क्षेत्रों और गांवों की भाषाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।"
गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ सभी भारतीय भाषाओं के कवियों, साहित्यकारों और नाटककारों ने लोक भाषाओं, लोककथाओं, लोकगीतों और लोकनाट्यों के माध्यम से हर आयु वर्ग, वर्ग और समुदाय में आजादी के संकल्प को मजबूत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे मातरम और जय हिंद जैसे नारे हमारी भाषाई चेतना से उभरे और स्वतंत्र भारत के लिए गौरव के प्रतीक बन गए।’’
शाह ने कहा कि जब देश को आजादी मिली तो संविधान निर्माताओं ने भाषाओं की क्षमता और महत्व पर व्यापक विचार-विमर्श किया और 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया।
उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 351 हिंदी को बढ़ावा देने और प्रसार करने की जिम्मेदारी सौंपता है ताकि इसे भारत की समग्र संस्कृति का प्रभावी माध्यम बनाया जा सके।
उन्होंने कहा, "पिछले दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं और संस्कृति के पुनर्जागरण का स्वर्णिम युग आया है। चाहे संयुक्त राष्ट्र का मंच हो, जी-20 शिखर सम्मेलन हो या शंघाई सहयोग संगठन को संबोधित करना हो, मोदी जी ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में संवाद करके भारतीय भाषाओं का गौरव बढ़ाया है।"
गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत काल में मोदी ने देश को गुलामी के प्रतीकों से मुक्त करने के लिए पंच प्रण लिए हैं, जिसमें भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा, "हमें संचार और बातचीत के माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं को अपनाना चाहिए।"
शाह ने कहा कि राजभाषा हिंदी ने 76 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं और राजभाषा विभाग ने अपनी स्थापना के 50 स्वर्णिम वर्ष पूरे करते हुए हिंदी को जन-जन की भाषा और जनचेतना की भाषा बनाने में उल्लेखनीय कार्य किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2014 से सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि 2024 में हिंदी दिवस पर सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के बीच निर्बाध अनुवाद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं न केवल संचार का माध्यम बनें, बल्कि प्रौद्योगिकी, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की आधारशिला बनें।"
शाह ने कहा कि डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के इस युग में सरकार भारतीय भाषाओं को भविष्य के लिए सक्षम, प्रासंगिक और वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में भारत को अग्रणी बनाने में एक प्रेरक शक्ति के रूप में विकसित कर रही है।
उन्होंने कहा, "मिथिला के कवि विद्यापति जी ने सही कहा है: 'देसिल बयाना सब जन मीठा' अर्थात अपनी भाषा सबसे मीठी होती है।"