पांडे ने पहले एक कहानी ट्वीट की, फिर कुछ और कहानियां ट्वीट की। इस पर अन्य लोगों ने भी प्रतिक्रिया में कहानियां ही ट्वीट की। एटवुड और कबीर बेदी ने मौत की कहानियां, रश्दी और जीत तायिल ने गंभीर हास्य, कोल ने अकेलेपन पर, शशि थरूर ने भारत के बारे में, प्राज्जवल पराजुलाई ने साहित्य के बारे में अपनी प्रतिक्रिया दी। यह एक किस्म का साहित्यिक पल था - सहज, परिवर्तनशील, छू लेने वाला और ट्वीटर की तरह ही फूट पड़ने और कौंधने वाला और आश्चर्यजनक रूप से मार्मिक।
ये युको शिमिजू की कल्पना ही थी कि ये कहानियां टेल्स ऑन ट्वीट के रूप में किताब में आ गई। ये कहानियां 140 अक्षरों से ज्यादा की नहीं हैं। टेल्स ऑफ ट्वीट का प्रकाशन हार्परकोलिंस इंडिया ने लघु आकार में किया है। इसमें 98 लघु कहानियां हैं। टेल्स ऑफ ट्वीट में बताया गया है कि पांडे ने ऑस्कर वाइल्ड की लेखन शैली को अपनाने की कोशिश की है। फिर उन्होंने सोचा कि क्यों न इस किस्म के लेखन पर प्रतिक्रिया ली जाए।
पांडे कहते हैं, इसके लिए मेरे पसंदीदा लेखकों से बेहतर और कौन होता? इसलिए मैंने सलमान रश्दी, मार्गरेट एटवुड, शशि थरूर, तेजु कोले और साहित्य क्षेत्र के अन्य दिग्गजों को टैग करना शुरू किया। उन्होंने प्रतिक्रिया दी लेकिन आलोचना के रूप में नहीं बल्कि अपनी खुद की कहानी के साथ।
एजेंसी