गौरतलब है कि जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर सुसनेर तहसील अंतर्गत इस गांव में आजादी के बाद से लेकर आज तक कभी भी दलित समाज के विवाह कार्यक्रम में बैंड बाजे एवं ढोल-ढमाके नहीं बज पाए थे, जबकि 2,000 की आबादी वाले इस गांव में लगभग 55 दलित परिवार निवास करते हैं।
सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट :एसडीएम: जी एस डावर ने बताया, चन्दर मेघवाल निवासी माना ने मुझे एक आवेदन दिया था कि उसकी पुत्री ममता का विवाह राजगढ़ के दिनेश के साथ तय हुआ है और 23 अप्रैल 2017 को वर पक्ष बारात लेकर माना आने वाला है। लेकिन गांव के दबंगों ने उसे चेतावनी दी है कि गांव में बारात बिना बैंड बाजे के निकलनी चाहिये, क्योंकि आजादी के बाद से लेकर आज तक कोई भी दलित परिवार गांव में विवाह में बैंड बाजे नहीं बजा पाया है और ना ही किसी प्रकार की सजावट-रोशनी कर पाया है।
डावर ने कहा, चन्दर मेघवाल ने कहा कि उसको डर है कि उसकी पुत्री के विवाह में कोई अनहोनी न हो, इसलिए मदद की गुहार लगाई। उन्होंने कहा, इस शिकायत पर मैंने तत्काल सुसनेर अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, तहसीलदार एवं सुसनेर पुलिस थाना प्रभारी के साथ मीटिंग की और गांव में दलित परिवार के विवाह समारोह को सुरक्षित और साआंनद संपन्न करने के लिए त्वरित कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया।
एसडीएम डावर ने बताया कि निर्धारित समय पर ममता की बारात गांव में आयी और बैंड बाजे के साथ बारात चन्दर मेघवाल के घर पहुंची और धूमधाम से ममता का विवाह दिनेश के साथ संपन्न हुआ। उन्होंने कहा, शादी के दौरान सवर्ण जाति के किसी भी व्यक्ति ने बारात में बैंड बजाने पर आपत्ति नहीं जताई।
उन्होंने कहा कि इस दौरान सुसनेर के वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी तीन थानों के पुलिस बल के साथ पूरी मुस्तैदी के साथ वहां पर मौजूद रहे। डावर ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों की त्वरित और सख्त कार्रवाई के चलते दलित परिवार की दुल्हन पुत्री ममता बैंड बाजे के साथ हंसी खुशी सुरक्षित अपने ससुराल विदा हो गई। उन्होंने कहा कि मेघवाल ने किसी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत नहीं की थी। डावर ने बताया, मेघवाल ने आवेदन में किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिखा है। शादी समारोह ठीक उसी तरह से संपन्न हो गया, जैसे शिकायतकर्ता ने उम्मीद की थी। एजेंसी