सर्च इंजन गूगल ने बुधवार को उर्दू के महान शायर मिर्जा गालिब के 220वीं जयंती पर उनको अपना शानदार डूडल समर्पित किया है। मिर्जा गालिब का पूरा नाम मिर्जा असल-उल्लाह बेग खां था। उनका जन्म 27 दिसंबर 1797 को मुगल शासक बहादुर शाह के शासनकाल के दौरान आगरा के एक सैन्य परिवार में हुआ था। उन्होंने फारसी, उर्दू और अरबी भाषा की पढ़ाई की थी।
जिस साल मिर्जा गालिब का निधन हुआ, उसी साल महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। साल था 1869 और पूरे 73 साल जीने के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। नवाब इलाही बख्श की बेटी से 13 की उम्र में निकाह करने वाले गालिब एक जिम्मेदार और अच्छे गृहस्थ साबित हुए। उन्हें खूब मान सम्मान मिला। मुगल शासक बहादुर शाह जफर ने उन्हें दो बड़ी उपाधियों से नवाजा। उन्हें अपने दरबार का खास अंग बनाया।
गूगूल के डूडल में मिर्जा हाथ में पेन और पेपर के साथ दिख रहे हैं और उनके बैकग्राउंड में बनी इमारत मुगलकालीन वास्तुकला को दिखा रही है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, गूगल ने अपने ब्लॉग में लिखा है, 'उनके छंद में उदासी सी दिखती है जो उनके उथलपुथल और त्रासदी से भरी जिंदगी से निकल कर आई है- चाहे वो कम उम्र में अनाथ होना हो, या फिर अपने सात नवजात बच्चों को खोना या चाहे भारत में मुगलों के हाथ से निकलती सत्ता से राजनीति में आई उथल-पुथल हो। उन्होंने वित्तीय कठिनाई झेली और उन्हें कभी नियमित सैलरी नहीं मिली।'
ब्लॉग के मुताबिक, इन कठिनाइयों के बावजूद गालिब ने अपनी परिस्थितियों को विवेक, बुद्धिमत्ता, जीवन के प्रति प्रेम से मोड़ दिया। उनकी उर्दू कविता और शायरी को उनके जीवनकाल में सराहना नहीं मिली, लेकिन आज उनकी विरासत को काफी सराहा जाता है, विशेषकर उर्दू गजलों में उनकी श्रेष्ठता को।'
Google remembers #MirzaGhalib on his birth anniversary
Read @ANI story | https://t.co/xSuYIpSzfn pic.twitter.com/glpr23s3hQ
— ANI Digital (@ani_digital) December 27, 2017
छोटी उम्र में ही गालिब से पिता का सहारा छूट गया था, जिसके बाद उनके चाचा ने उन्हें पाला, लेकिन उनका साथ भी लंबे वक्त का नहीं रहा। बाद में उनकी परवरिश नाना-नानी ने की। गालिब का विवाह 13 साल की उम्र में उमराव बेगम से हो गया था। शादी के बाद ही वह दिल्ली आए और उनकी पूरी जिंदगी यहीं बीती।