जर्मनी में लुडविंग मैक्सीमिलियन यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख :एलएमयू: के शोधकर्ताओं ने लोगों के सेल्फी लेने और उसे देखने के लोगों के इरादे और निर्यण को जानने के लिए ऑनलाइन सर्वेक्षण किया। जिसमें आस्टि्रया, जर्मनी और स्विट्जरलैंड के कम से कम 238 लोगों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 77 प्रतिशत लोग नियमित तौर पर सेल्फी लेते हैं और अपनी सेल्फी को दूसरे के मुकाबले ज्यादा विश्वस्नीय मानते हैं।
एलएमयू में प्रोफेसर साराह डाइफेनबाच कहती हैं, स्वयं के प्रचार के लिए सेल्फी, अपने सकारात्मक पहलुओं को ही दर्शकों को दिखाना या लोगों को अपने निजी क्षणों को दिखाना और उनकी सहानुभूति बटोरना, सेल्फी लेने के मुख्य कारक प्रतीत होते हैं।
इस शोध की दिलचस्प बाद यह भी है कि 77 प्रतिशत लोग नियमित तौर पर सेल्फी लेने के बावजूद 62 से 67 प्रतिशत लोग सेल्फी के संभावित नकारात्मक परिणामों से सहमत दिखे। सेल्फी के इस नकारात्मक परिणामों की आशंका से 82 प्रतिशत लोग भी सहमत दिखे। उन्होंने कहा कि वह सोशल मीडिया में सेल्फी की बजाए दूसरी तरह की फोटो देखना पसंद करते हैं। यह अध्ययन जनरल फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। भाषा