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दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति का होगा निर्माण! विरोध में कांग्रेस ने शुरू की पदयात्रा

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण के विरोध में कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई ने प्रदेश...
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति का होगा निर्माण! विरोध में कांग्रेस ने शुरू की पदयात्रा

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण के विरोध में कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई ने प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में बुधवार को हरिद्वार में गंगा तट पर हर की पौड़ी से ‘केदारनाथ बचाओ’ पदयात्रा शुरू की।

पदयात्रा में राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश पार्टी अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत कई नेता मौजूद रहे।

पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि हर की पौड़ी पर गंगा स्नान और पूजा-अर्चना करने के बाद कांग्रेस नेताओं ने केदारनाथ की ओर प्रस्थान किया।

दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के प्रस्तावित निर्माण के विरोध में निकाली जा रही यह यात्रा गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए 14-16 दिनों में केदारनाथ धाम पहुंचेगी।

वहीं माहरा ने कहा कि केदारनाथ मंदिर सिर्फ उत्तराखंड में है और कहीं दूसरी जगह उसके प्रतीकात्मक निर्माण का विरोध किया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी ऋषिकेश और अगस्तमुनि में इस यात्रा में भाग लेने की उम्मीद है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि धाम और शंकराचार्यों के सम्मान को बचाने की लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है।

रावत ने कहा कि जब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने इस घोर अपराध के लिए माफी नहीं मांगेगी, तब तक केदारनाथ सम्मान बचाओ संघर्ष जारी रहना चाहिए।

एक ट्रस्ट द्वारा दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण प्रस्तावित है, जिसका शिलान्यास मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था।

इसके बाद से ही धामी और सत्तारूढ़ भाजपा केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने हैं। कांग्रेस, सत्तारूढ़ दल पर केदारनाथ धाम का महत्व कम करने का आरोप लगा रही है।

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने हाल में प्रदेश में स्थित चार धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री तथा अन्य प्रमुख मंदिरों के नामों या उन्हें बनाने वाले ट्रस्ट या समितियों के नामों का दुरूपयोग रोकने के लिए कठोर विधिक प्रावधान करने का निर्णय लिया है जबकि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाने वाले ट्रस्ट के प्रमुख सुरिंदर रौतेला भी मंदिर निर्माण से सरकार का कोई संबंध न होने की बात कह चुके हैं लेकिन इससे जुड़ा विवाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन से रिक्त हुई केदारनाथ सीट पर जल्द उपचुनाव की संभावना को देखते हुए यह विवाद फिलहाल थमता नहीं दिखाई दे रहा है।

उन्होंने कहा कि हाल में प्रदेश में हुए दो विधानसभा उपचुनावों -मंगलौर और बदरीनाथ में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस केदारनाथ सीट पर भी अपना विजयी प्रदर्शन दोहराने का मौका नहीं छोड़ेगी।

वहीं मुख्यमंत्री धामी ने कांग्रेस की इस यात्रा को ‘ढकोसला’ करार दिया और कहा कि हमेशा सनातन धर्म का विरोध करने वाले इन लोगों को ‘प्रायशचित यात्रा’ निकालनी चाहिए।

धामी ने संवाददाताओं द्वारा कांग्रेस की ‘केदारनाथ धाम’ बचाओ यात्रा के बारे में पूछे जाने पर कहा, “बाबा केदार तो सनातन का प्रतीक हैं। जो लोग हर समय सनातन का विरोध करते रहे हों, उनकी यह यात्रा केवल एक ढकोसला है। उन लोगों को सनातन के विरोध के लिए एक प्रायशचित यात्रा करनी चाहिए”

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म को गाली देने, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने वाले और सनातन को मलेरिया, डेंगू और वायरस बताने वाले लोग जब यात्रा की बात करते हैं, तो बहुत ही आश्चर्य होता है।

भाजपा की प्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य के लिए कांग्रेस ने बाबा केदार को भी अपने एजेंडे में शामिल कर लिया है।

उन्होंने हालांकि कहा कि सनातनी एक बार फिर केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाएंगे।

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