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बंट गई आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी आखिर दो गुटों में बंट ही गई। एक गुट मुख्य‍मंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में तो दूसरा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थन में। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो हंगामा हुआ उसकी पटकथा पहले से ही तैयार थी।
बंट गई आम आदमी पार्टी

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया गया। इससे पहले यादव और भूषण को पार्टी की राजनीतिक मामलों की कमेटी (पीएसी) से हटा दिया गया था। बवाल और नाटकीय घटनाक्रम के बीच दोनों असंतुष्ट नेताओं के साथ-साथ उनके समर्थकों आनंद कुमार और अजीत झा को शक्तिशाली पैनल से हटाने के लिए राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्ताव भी पारित किया गया। परिषद के 247 सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। जबकि दस सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
परिषद की बैठक से एक दिन पहले अरविंद केजरीवाल का कथित स्टिंग सामने आने के बाद से ही यह तय हो गया था कि बैठक हंगामेदार होगी। इसलिए बैठक स्थल पर सुरक्षा के पुक्चता इंतजाम किए गए थे। इस बीच एक अन्य घटनाक्रम में आप के आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास को विवाद से बचने के लिए बैठम में नहीं बुलाया गया जिसको लेकर भी निंदा हुई। रामदास का आरोप है कि वह बैठक के लिए आए थे लेकिन उन्हें यह कहते हुए आने से रोक दिया गया कि उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है। बैठक से पहले ही केजरीवाल और यादव एवं भूषण गुट के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प शुरू हुई। योगेंद्र यादव समर्थकों के साथ धरने पर बैठे। हालांकि बाद में कुछ मामला सुलझता नजर आया लेकिन बैठक शुरू होते ही हंगामा शुरू हुआ। केजरीवाल ने बड़े ही संयमित अंदाज में अपना भाषण खत्म किया और बैठक से निकल गए। केजरीवाल के निकलते ही उपमुख्य‍मंत्री मनीष सिसोदिया ने यादव और भूषण को निकालने का प्रस्ताव पेश किया। उसके बाद दोनों ही सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बैठक के बाद यादव और भूषण ने आरोप लगाया कि वह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक था। यादव ने कहा कि केजरीवाल के भाषण के समय नारेबाजी शुरू हो गई, गद्दारों को बाहर निकालो जैसे नारे लगाए जाने लगे। यादव कहते हैं कि उनकी बात नहीं सुनी गई, प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई, वोटिंग करवा दी गई और उनके समर्थकों को मारा-पीटा गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए अरविंद गुट ने पेशेवर बॉक्स‍र और बाउंसर बुलाए थे। आप विधायकों ने भी गुंडागर्दी की। यादव कहते हैं कि यह लोकतंत्र की हत्या है। सभी चीजें पूर्वनिर्धारित पटकथा के अनुरूप खेली गई और निर्धारित मानदंडों को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए कुछ ही मिनट में प्रस्ताव पेश कर उसे पारित कर दिया गया। यह पूरी तरह से गलत है। प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि केजरीवाल उन्हें पार्टी से बाहर निकालने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आए थे और उनका एवं यादव का समर्थन करने वाले राष्ट्रीय परिषद के कई सदस्य घायल हुए हैं। भूषण कहते हैं कि केजरीवाल स्टिंग में बोल रहे थे, इन लोगों को लात मार कर बाहर कर दिया जाए। उनके लोग इसकी पूरी तैयारी करके आए थे। अवैध तरीके से वोटिंग कराई गई। अजीत झा ने कहा कि बैठक में उन्हें मारा गया और उठाकर पटक दिया गया। मेवात के कार्यकर्ता रमजान चौधरी ने भी अपने साथ मारपीट की बात कही। सूत्र बता रहे हैं कि परिषद की बैठक की पटकथा जो तैयार की गई थी उसी हिसाब से चीजें हुई। बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई, कोई गुप्त मतदान नहीं हुआ और न ही मतदान को प्रदर्शित किया गया। आप नेता संजय सिंह यादव और भूषण के आरोपों को नकारते हैं। सिंह कहते हैं कि अगर मारपीट हुई तो उसका सबूत पेश करें। यह सब झूठ और अफवाह है। जो भी हो, आप की कलह जो सामने आई है उसने अन्य सियासी दलों को चुटकी लेने का मसाला दे दिया है। भाजपा नेता अरुण जेटली कहते हैं कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली के लोगों से किए गए वादों को पूरा करना चाहिए और अपरिपञ्चव राजनीति करके मौके को नहीं गंवाना चाहिए। वहीं जक्वमू कश्मीर के पूर्व मुक्चयमंत्री उमर अद्ब्रदुल्ला ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि आप ने हम लोगों के समान ही बनने का फैसला कर लिया है जबकि कई लोगों का सुझाव था कि पारंपरिक राजनीतिक दलों को अरविंद केजरीवाल नीत संगठन जैसा बनना चाहिए।

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