Advertisement

आप के भीतर कलह, एक-दूसरे पर निशानेबाजी का दौर

आम आदमी पार्टी में विरोधी स्वरों के उभरने के साथ-साथ उन्हें सख्‍ती से निपटाने की प्रक्रिया फिर शुरू हो गई है।
आप के भीतर कलह, एक-दूसरे पर निशानेबाजी का दौर

आप अब आप नहीं, बस मैं और मैं हो गई है। यहां मैं भी सिर्फ अरविंद हैं। इसका असर सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, पंजाब से लेकर तमाम राज्यों पर दिख रहा है। आने वाले दिनों में असंतोष और बढ़ेगा।–यह कहना था दिल्ली के विधायक का, जो पार्टी हाई-कमान से असंतुष्ट तो हैं लेकिन खुलकर सामने आने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं।
पंजाब में दो सांसदों को पार्टी से निकाले जाने के बाद दिल्ली में कानून मंत्री कपिल मिश्रा को आनन-फानन में हटाना पड़ा। कपिल मिश्रा ने जिस तरह से मुख्यमंत्री अरविदं केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ पानी के टैंकर घोटाले में एफआईआर करने संबंधी पत्र लिखा था और उस पत्र में अपने हटाए जाने की बात भी लिखी थी, उससे साफ है कि उनका निशाना कहीं और था। दिल्ली सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों का कहना है कि कपिल मिश्रा को पता था कि उन्हें हटाया जाना है, इसलिए उन्होंने जानबूझकर खुद को शहीद दर्शाने के लिए शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर करने की बात लिखी थी। बड़े नुकसान की आशंका को भांपते हुए कपिल मिश्रा को हटाया गया। हालांकि इस बारे में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय का कहना है कि उन्हें पानी की समस्या पर पूरी तरह से ध्यान देने के लिए कानून के भार से मुक्त किया गया है। अब ये अलग बात है कि गोपाल राय के इस स्पष्टीकरण को मानने वाले खुद आप में बहुत कम लोग है। इसी बीच, आप के विधायक पंकज पुष्कर ने खुलेआम अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ सत्याग्रह करने का ऐलान कर दिया है। यानी अभी लंबी टकराहटों का दौर चलना है।
एक बात स्पष्ट है कि आप में मंथन, रस्साकसी, टकराहट का दौर जारी है। अब वह एक परंपरागत पार्टी के रूप में धीरे-धीरे उभर रही है। व्यक्ति केंद्रित इस पार्टी में असंतोष, असहमति की जगह नहीं है। दिल्ली सरकार पर जिस तरह से भाजपा, लेफ्टिनेंट गर्वनर, केंद्र सरकार के चौतरफा हमले जारी हैं, उसमें इसके लिए खुलकर विकसित होने की संभावना भी कम है। यहां हर स्वर साजिश का हिस्सा दिखने के लिए बाध्य सा नजर आ रहा है। ऐसा नहीं की साजिशें नहीं हो रही है। इतने कम समय में जितने आप के विधायकों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की, उसकी पहले कहीं नजीर नहीं मिलती। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास भरोसेमंद लोगों का भी सख्त अभाव दिख रहा है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास 11 बड़े विभागों सहित कई छोटे विभाग का बोझ है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad