Advertisement

सिंधिया, जितिन प्रसाद के बाद अब सचिन पायलट की बारी?, भाजपा विधायक ने की मुलाकात; क्या करेगी कांग्रेस

कांग्रेस के लिए परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जो कांग्रेस अपने कुनबे को मजबूत करने और मंथन में...
सिंधिया, जितिन प्रसाद के बाद अब सचिन पायलट की बारी?, भाजपा विधायक ने की मुलाकात; क्या करेगी कांग्रेस

कांग्रेस के लिए परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जो कांग्रेस अपने कुनबे को मजबूत करने और मंथन में जुटी हुई है, वो अपने बागियों के एक के बाद एक झटके से लगातार 'ढहती' जा रही है। पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए मध्यप्रदेश में सरकार गिराने का कारण बनें। सिंधिया कांग्रेस से पाला बदल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो लिए, जिसके बाद कांग्रेस की अगुवाई वाली कमलनाथ सरकार गिर गई। 

अब एक और झटका पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने भाजपा ज्वाइन कर कांग्रेस को दे दिया है। यूपी चुनाव 2022 से प्रसाद का पार्टी से जाना कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान है। प्रसाद बीते कई साल से पार्टी द्वारा राजनीतिक कोने में छोड़ दिए गए थे। लेकिन, इसके बाद भी कांग्रेस स्थिर नजर नहीं आ रही है। राजस्थान की राजनीति में भी कांग्रेस में बागवती सुर बीते डेढ़ साल से गूंज रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमा फिर से सक्रिय है और पार्टी के भीतर 'रेड अलार्म' की आहट सुनाई दे रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सचिन पायलट ने गुरुवार को करीब आठ विधायकों के साथ अपने आवास पर बैठक की है। वहीं, भाजपा विधायक गुरदीप शाहपीणी ने भी पायलट से मुलाकात की है। हालांकि, भाजपा विधायक शाहपीणी ने कहा है कि व्यक्तिगत काम से उन्होंने मुलाकात की है, इसके राजनीतिक मायने न निकाले जाए।

ये पहली बार नहीं है जब पायलट खेमा फिर से सक्रिय नजर आ रहा है। इससे पहले भी सचिन पायलट समर्थक विधायक माने जाने वाले विधायक और वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उन्होंने कहा था, "कुछ नाराजगी थी। इसे प्रदेश अध्यक्ष हीं समझ सकते हैं।" इससे पहले भी एक और समर्थक विधायक रमेश मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने आउटलुक से कहा था, "जयपुर का पैसा कोटा जाता है। राज्य में विकास शून्य है।" उपचुनाव में कांग्रेस ने दो सीटों पर गहलोत के नेतृत्व में चुनाव जीते हैं। इस कारण से भी पायलट खेमे के सुर पार्टी के खिलफ तेज हो रहे हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी संशय अभी तक बरकरार है। गहलोत के लिए ये चुनौतीपूर्ण है कि वो किसे मंत्रिमंडल में जगह दें और किसे नहीं। क्योंकि, इसके बाद खींचातानी और बढ़ जाएगी।

पिछले साल कोरोना महामारी के बीच पायलट गुट ने बगावत कर दिया था। लंबे समय तक करीब 17 विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया था। पायलट समर्थकों के बगावत से गहलोत सरकार संकट में आ गई थी। लेकिन, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सरीखे अन्य वरिष्ठ आलाकमानों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और राज्य में कांग्रेस की सरकार बरकरार रही। जितिन प्रसाद के पाला बदलने के बाद अब राजस्थान की सियासी घमासान पर सबकी नजर टिक गई है।

 

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad