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पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ की बारी, बघेल बनाम सिंहदेव की लड़ाई में फैसला कब?

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के कथित करार पर जब सुगबुगाहट बड़े सियासी संग्राम में तब्दील...
पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ की बारी, बघेल बनाम सिंहदेव की लड़ाई में फैसला कब?

छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के कथित करार पर जब सुगबुगाहट बड़े सियासी संग्राम में तब्दील होती दिखी, तब कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश सरकार के मुखिया भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव को दिल्ली तलब किया। उस दौरान ऐसा लगा मानो केंद्रीय नेतृत्व सुलह, समझौता या परिवर्तन के जरिए जल्द ही समाधान का सूत्र ढूंढ लेगा। लेकिन दिल्ली दरबार में दोनों दिग्गजों की पेशी के महीने भर बाद भी समस्या यथावत है। बघेल बनाम सिंहदेव की जंग अब दोनों दिग्गजों के साथ-साथ उनके समर्थक भी खुलेआम लड़ रहे हैं। बघेल जहां खुद को 'जिंदा' बता रहे हैं वहीं पंजाब में 'मुख्यमंत्री परिवर्तन' की घटना में सिंहदेव अपनी उम्मीदों के लिए आब-ओ-हवा तलाश रहे हैं। कांग्रेस शासित पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिजा में भी कुछ अलग किस्म की हवा बह रही है। अब एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश से एक दर्जन से अधिक विधायकों की दिल्ली आवाजाही ने हलचल तेज कर दी है।

मंत्री टीएस सिंहदेव पंजाब की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी बदलाव की बाट जोह रहे हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों सिंहदेव ने रायपुर एयरपोर्ट में कहा, "पंजाब में किसी ने नही सोचा था कि ऐसी स्थिति आएगी और स्थिति आ गई। कई कारण होते हैं उसे देखकर हाईकमान निर्णय लेता है।"

वहीं फैसले पर हो रही लेटलतीफी को लेकर टीएस सिंहदेव ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में सरकार बननी थी, तो 2-3 दिनों में ही ऐसा लग रहा था कि निर्णय कब होगा। कौन मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन ये निर्णय छोटे नहीं होते। इसमें समय लगता है।
उन्होंने कहा कि ये हाईकमान का विशेषाधिकार है। जब मामला उनके पास है, तो फैसला भी उन्हीं की तरफ से आएगा। कोई समयसीमा नहीं रहती, व्यवहारिकता की बात होती है।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी ताकत और समर्थन का एहसास दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान सीएम बघेल के 'कका (काका) अभी जिंदा है' संवाद सुर्खियों में है। दरअसल, कार्यक्रम के दौरान जब भूपेश बघेल लोगों को संबोधित कर रहे थे तब उनके समर्थक ‘कका जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। तभी भूपेश बघेल अपना भाषण रोककर बोल पड़े, ‘कका अभी जिंदा हैं...’। यह वीडियो क्लिप बघेल गुट के नेताओं और समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है। खुद बघेल ने भी अपने टि्वटर और फेसबुक अकाउंट पर इसे शेयर किया है। माना जा रहा है कि इस एक वाक्य के जरिए भूपेश बघेल ने बताने का प्रयास किया है कि मुख्यमंत्री की उनकी कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है। 


लेकिन कांग्रेस गुटबाजी के खतरों से चौतरफा घिरी है। सिंहदेव कैम्प के नेता और विधायक बघेल पर बदले की कार्रवाई करने के आरोप लगा रहे हैं। सत्ताधारी दल के विधायक शैलेश पांडेय ने अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक होने की वजह से उनके और उनके साथियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर रही है।दरअसल, टीएस सिंह देव के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता पंकज सिंह के खिलाफ बिलासपुर में सिम्स के टेक्नीशियन से कथित रूप से मारपीट के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिसके खिलाफ पांडेय सड़क पर उतर आए। उन्होंने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन भी किया। पांडेय ने आरोप लगाया कि सिंहदेव के करीबी होने के कारण उनके और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा, ”कोरोना काल में लॉकडाउन के समय जब मैं गरीबों को राशन बांट रहा था तब मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और अब एक गरीब के इलाज के सिलसिले में बिना जांच किए पंकज सिंह पर कार्रवाई की जा रही है। पुलिस की यह कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण है।”

हालांकि प्रदेश कांग्रेस इसे गैर राजनीतिक बता रही है। पार्टी का तर्क है कि यहां मुख्यमंत्री के पिता पर भी कार्रवाई हो जाती है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पंकज सिंह के विरुद्ध शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया है। यह मामला पूरी तरह से गैर राजनीतिक है। त्रिवेदी ने कहा कि जिस राज्य में मुख्यमंत्री के 84 वर्षीय पिता पर कानूनी कार्रवाई हो जाती है और वह जेल चले जाते हैं, इससे साफ पता चलता है कि उस राज्य में कानून का शासन है।

भले ही पार्टी इसे राज्य में कानून का शासन के नाम से प्रचारित कर रही है। लेकिन जानकारों का कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व यदि जल्द ही मामले का निराकरण नहीं करता है तब प्रदेश में पार्टी के भीतर गुटबाजी और कलह की रफ्तार और तेज हो सकती है।

शायद यही वजह है कि प्रदेश सरकार की मौजूदा स्थिति को भाजपा अपने लिए फायदेमंद बता रही है। आउटलुक के साथ बातचीत में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता यह देख और समझ रही है। प्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति है। ऐसे में स्वाभाविक है कि इसका लाभ आगे भाजपा को मिलेगा। साथ ही उन्होंने कहा, "यदि केंद्रीय नेतृत्व या राहुल गांधी ने वादा किया था, या दोनों नेताओं ने तय किया था तो उस वादे का क्रियान्वयन होना चाहिए। नहीं तो केंद्रीय नेतृत्व साफतौर पर कह दे कि ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था।"

कुलमिलाकर कहा जा सकता है कि मौजूदा विवाद को टालना या खींचना पार्टी के लिए फायदे का सौदा नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को एक और फैसला लेने का जोखिम अपने सर उठाना ही होगा।



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