राजनीति में हर चीज संभव है और यही इन दिनों बिहार की राजधानी पटना में हो रहा है। एनडीए की अगुवाई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई चौंकाने वाले फैसले लेते नजर आ रहे हैं। बीते दिनों लंबे कयास के बाद कभी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का साथ छोड़ने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का विलय हुआ था और कुशवाहा को जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। ये वही पार्टी है जिसे बीते विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नसीब नहीं हुई। दरअसल, चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद से नीतीश अब नए समीकरण की तलाश में दिख रहे हैं।
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जेडीयू की निगाह अपने पुराने 'लव-कुश समीकरण' पर है। कुशवाहा नेताओं को अपने पाले में करने के प्रयास लगतार जारी है। पार्टी ने पहले अपने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर उमेश कुशवाहा को बैठाया। फिर कुशवाहा समाज के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा अपनी पूरी पार्टी के साथ जेडीयू में शामिल हो गए। वहीं, अब पार्टी की नजर एक और मजबूत कुशवाहा नेता भगवान सिंह कुशवाहा पर है, जिन्होंने टिकट नहीं मिलने पर बीते विधानसभा चुनाव के समय जेडीयू छोड़ दिया था।
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दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 परिणाम में एनडीए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़े भाई से छोटे भाई में हो गएं। जबकि बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में उभरी। नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को महज 43 सीटें मिली जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 74 सीट लाने में कामयाब हुई। हालांकि, पूरे चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में महागठबंधन की अगुवाई करने वाले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) 75 सीटों के साथ उभरी। चुनाव में एनडीए को 125 सीटें और महागठबंन को 110 सीटें मिली। भाजपा ने नीतीश कुमार को वादें के मुताबिक कम सीटें आने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में चुना है लेकिन अब कई ऐसे घटनाक्रम बिहार की राजनीति को हवा दे रहे हैं जिससे स्पष्ट दिख रहा है कि अब भाजपा नीतीश कुमार पर हावी हो चली है और नीतीश पहले नंबर पर आने के लिए मंथन करने में जुट गए हैं।
बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में नीतीश कुमार की सरकार बनने के ठीक एक महीने बाद ही अरूणाचल प्रदेश जेडीयू इकाई के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। जिसको लेकर पार्टी की तरफ से गहरी प्रतिक्रिया दी गई। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपीसी सिंह ने इशारों हीं इशारों में बीजेपी को चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा था, "हम जिनके साथ रहते हैं, पूरी इमानदारी से रहते हैं। साजिश नहीं रचते और किसी को धोखा नहीं देते हैं। हम सहयोगी के प्रति ईमानदार रहते हैं लेकिन कोई हमारे संस्कारों को कमजोरी न समझे।" उन्होंने यहां तक कहा कि वो ये कोशिश करेंगे कि भविष्य में इस तरह का अवसर नहीं आए। हालांकि, जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बिहार एनडीए का बचाव करते हुए कहा था कि गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है और हम पांच साल सरकार चलाएंगे। इसके बाद नीतीश ने भी भाजपा पर इशारा साधते हुए कहा था कि उन्हें पद का लोभ नहीं था।