जनवरी से रालोसपा के जेडीयू में विलय को लेकर चल रही बातों पर आज यानी 14 मार्च को विराम लग गया है। उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली रोलसपा का जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में विलय हो गया है। नीतीश कुमार की अगुवाई में इसका विलय किया गया है। उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। नीतीश कुमार ने इस मौके पर कहा कि राजनीति सिर्फ चुनाव के लिए नहीं होता है। वहीं, बीते कई दिनों से रालोसपा में बगावत के सुर गूंज रहे हैं। अब तक करीब छह दर्जन से अधिक नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है। करीब तीन दर्जन से अधिक नेताओं ने बीते दिनों राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव की उपस्थिति में सदस्यता ग्रहण की। ये नेता पार्टी के जेडीयू में विलय होने को लेकर नाराज चल रहे थे। लेकिन, नीतीश को ऐसी कौन सी मजबूरी दिखने लगी है कि जो पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी, उस रालोसपा को जेडीयू में विलय कर लिया गया हैं। कुशवाहा को पार्टी के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया है।
रालोसपा भी चुनाव के दौरान एनडीए में शामिल होना चाहती थी लेकिन बीजेपी ने पल्ला झाड़ लिया था। लेकिन, अब जब रालोसपा का जेडीयू में विलय होने जा रहा है। वैसे में बीजेपी के लिए क्या रास्ता होगा। अभी एनडीए में बीजेपी-जेडीयू-वीआईपी और हम का साथ है। विलय की बात से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने ऐलान किया कि अब रालोसपा का काफिला नीतीश कुमार के लिए काम करेगा और वो हमारे बड़े भाई हैं।
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दरअसल, इस विलय के जरिए नीतीश बिहार की करीब नौ फीसदी आबादी को साधने की तैयारी में लगे हुए हैं। "लव-कुश" समीकरण के जरिए वो इसमें अपनी पैठ बनाना चाह रहे हैं। बीते विधानसभा में उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली रालोसपा को एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी। इसलिए, रालोसपा जेडीयू के साथ मिलकर अपने संगठन को मजबूत करना चाह रही हैं। जबकि नीतीश बीजेपी से साथ चल रही खींचातानी को लेकर भविष्य की राह भी जोह रहे हैं। नीतीश कुमार की अगुवाई में फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही कई मोर्चों पर कलह की बातें सामने आई है। इस बार भाजपा ने अपने कोटे से दो उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष बनाए हैं जबकि सबसे अधिक मंत्री भाजपा कोटे से बनाए गए हैं। खास बात ये है कि भाजपा ने सुशील मोदी-नीतीश कुमार की जोड़ी को तोड़, अब राज्य की राजनीति में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन को उद्योग मंत्री के रूप में राज्य की राजनीति में एंट्री करा दी है।
आरजेडी का कहना है कि नीतीश कुमार एनडीए में फंसे हुए हैं और जल्द ही बिहार में होली बाद सत्ता का परिवर्तन हो जाएगा। उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू में विलय को लेकर भी आरजेडी ने निशाना साधा है। आउटलुक से बातचीत में आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, "दो शून्य के मिलने से क्या हो सकता है। कुशवाहा की राज्य की राजनीति में अब कोई पकड़ नहीं है। जनता उनकी मंशा को जान चुकी है। दो-तीन सालों में वो कई दलों में आ जा चुके हैं। भाजपा नीतीश को नीचा कर अब अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हुई है। नीतीश कुमारी और उनकी पार्टी जेडीयू लगातार कमजोर पड़ती जा रही है।"
रालोसपा चुनाव के दौरान भी एनडीए में शामिल होना चाहती थी लेकिन बीजेपी ने पल्ला झाड़ लिया था। विधानसभा चुनाव परिणाम में जेडीयू को लोजपा की वजह से काफी नुकसाना हुआ है। नीतीश (43 सीट) तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गए जबकि आरजेडी (75 सीट) पहले और दूसरे नंबर पर सहयोगी दल भाजपा 74 सीटों के साथ बड़े भाई की भूमिका में उभरने में कामयाब रही। एक तरफ नीतीश कुमार को एनडीए में दूसरे नंबर पर होने का टीस है वहीं, कुशवाहा भी बिहार की राजनीति में प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं। अब देखना होगा की नीतीश का ये मास्टरस्ट्रोक भाजपा के लिए किस तरह से साबित होता है। वहीं, जेडीयू क्या फिर से बड़े भाई की भूमिका में आने में कामयाब होगी।