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दादरीः गोमांस पर नफरत का सियासी पासा

दादरी में मोहम्मद अख्लाख की हत्या के बाद जिस उग्र ढंग से हत्या के पक्ष में केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा और हिंदू संगठनों के नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे गोमांस पर तनाव के लंबे खींचने की आशंका
दादरीः गोमांस पर नफरत का सियासी पासा

उत्तर प्रदेश के दादरी में हिंदुओं की हिंसक भीड़ द्वारा अखलाक की हत्या से पूरे नफरत आधारित ध्रुवीकरण की शुरुआत भाजपा ने की है। अब सांप्रदायिक तनाव से अगला चरण है। इसमें कहीं कोई तर्क, विवेक, न्याय, कानून की गुहार की गुंजाइश भी नहीं है। अब खेल बिल्कुल खुला करने की तैयारी है। जनता के बीच इस तर्क को परोसा जा रहा है कि अगर गोमांस खाया तो हत्या जायज है। यही वजह है कि गोमांस खाने की अफवाह फैलाने के बाद जिस तरह से हत्यारों के पक्ष में भाजपा सांसद और नेता माहौल बना रहे हैं, उससे साफ जाहिर है कि इस पर वे दूर तक और देर तक खेलने की तैयारी में हैं।

दादरी के बिसहारा गांव में जहां गोमांस खाने की झूठी अफवाह फैलाकर एक मुस्लिम परिवार पर हमला बोला गया था और इस हमले में मोहम्मद अखलाक की नृशंस हत्या कर दी गई थी और उनके 22 वर्षीय बेटे दानिश पर प्राणघातक हमला किया गया था, वहां माहौल पूरी तरह से विस्फोटक है। उग्र हिंदुत्ववादी संगठनों ने हमलावरों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए समुदाय की औरतों को उतार दिया है। वे मीडिया और बाकी जांच टीमों के प्रति बेहद आक्रामक है। इसी गांव के 24 वर्षीय युवक-जयप्रकाश द्वारा आत्महत्या करने को भी इस घटना से जोड़ने की कोशिशें हैं। इससे ऐसी आशंका लगती है कि आने वाले दिनों में कभी भी तनाव बढ़ाया जा सकता है। विश्व हिंदु परिषद की विवादित नेता साध्वी प्राची का सीधे-सीधे  हत्या को जायज ठहराने वाला बयान एक लंबी तैयारी की ओर इशारा कर रहा है।

दादरी में पूरी तैयारी और बाकायदा घोषणा के साथ हत्या करने वालों को बचाने के लिए जिस तरह से केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, सांसद सोम बाकी भाजपा और हिंदुत्ववादी नेताओं के साथ बोल रहे हैं, वह बेहद खौफनाक है। इन नेताओं का भाषण खुलकर धमकी देने वाला है। महेश शर्मा मीडिया सहित बाकी समुदाय को यह मनवाने पर तुले हैं कि यह महज एक हादसा था और इसे ज्यादा तूल देने की जरूरत नहीं है। इस हादसे के लिए किसी को ज्यादा सजा नहीं मिलनी चाहिए। अल्पसंख्यक समुदाय को अप्रत्यक्ष धमकी देते हुए उन्होंने कहा कि अखताख की बेटी, जो 17 साल की है, उसे मारने वालों ने हाथ तक नहीं लगाया। एक तरह से यह धमकी है कि हत्यारों पर मामला दर्ज करने से पहले इस पीड़ित परिवार को उनका अहसानमंद होना चाहिए कि उन्होंने उतना बुरा नहीं किया, जितना वे कर सकते थे।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर को भीषण सांप्रदायिक हिंसा में झौंकने और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के दोषी भाजपा सांसद संगीत सोम, दादरी का माहौल गरम रखने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। वह खुलेआम धमकी दे रहे हैं कि अगर हत्यारों के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई तो जैसा मुजफ्फरनगर में किया गया था, वैसा ही खौफनाक मंजर दोहराया जाएगा।  भाजपा और हिंदुत्ववादी संगठनों की तरह से इस तरह से मामला पेश किया जा रहा है कि जो लोग गोमांस खाते हैं, उन्हें मारना जायज है। हां, अगर यह साबित हो जाए कि उन्होंने गोमांस नहीं खाया है तो थोड़ा बहत पछतावा किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में चुनाव अगले साल होने हैं, लेकिन भाजपा इस तरह के ध्रुवीकरण से वोट बैंक को सुनिश्चित करने की कोशिश में है। मामला सिर्फ उत्तर प्रदेश तक का भी नहीं है, इससे पूरे देश में मतों को सुदृढ़ करने का है। गोमांस खाने पर और अधिक उग्र प्रचार चलाने की तैयारी है।

कमोबेश यह उसी तरह का उग्र ध्रुवीकरण होगा, जिस तरह का देश भर में आरक्षण के विरोध में चलाया जा रहा है। गोमांस खाने, ले जाने, व्यापार करने पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने की चरणबद्ध तैयारी है। दादरी की घटना इस पूरी तैयारी का एक परीक्षण बिंदु है। इसीलिए, पूरी तैयारी के साथ भाजपा के केंद्रीय मंत्री और सांसद अपने बाकी नेताओं समर्थकों के साथ इस हत्या को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जायज ठहराने का काम कर रहे है। केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें पहले की ही तरह मौन स्वीकृति दे रखी है। ऐसा तमाम हिंदुत्ववादी हिंसक एजेंडे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को सिर्फ औऱ सिर्फ इसी तरह से देखा जा सकता है। इतने हंगामे के बाद गृह मंत्रालय ने सांप्रदायिक तनाव न फैलाने संबंधी एक आदेश जरूर जारी किया है, लेकिन अपनी ही सरकार के मंत्रियों के भड़काऊ भाषणों पर केंद्र सरकार की चुप्पी बरकरार है।

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