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वाड्रा के खिलाफ जांच के चार मकसद

कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी के डीएलएफ और कांग्रेस राज में हुए तमाम जमीनी सौदों और भूमि उपयोग में बदलाव (सीएलयू) के खिलाफ हरियाणा में शुरू हुई न्यायिक जांच को लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चाएं तेज हैं।
वाड्रा के खिलाफ जांच के चार मकसद

चर्चा है कि जांच शुरू करना महज एक दिखावा है। दरअसल तो भाजपा सरकार आजकल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सरकार के खिलाफ गरम  हो रहे तेवर ठंडे करना चाहती है। राहुल गांधी सरकार के खिलाफ लगातार पदयात्राएं कर रहे हैं और संसद में भी सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि सरकार अंदरखाते चाहती है कि राहुल गांधी भूमि अधिग्रहण अधिनियम की खामियों पर बोलना बंद करें। सूत्रों का यह भी कहना है कि जांच का मकसद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी वफादार रही नौकरशाही को मुसीबत में डालने के लिए की जा रही है। कहना यह भी है कि हरियाणा सरकार को सत्ता में आए लगभग एक साल होने वाला है। इस दौरान सरकार ने कुछ नहीं किया। सरकार के खाते में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। जनता का ध्यान बंटाने के लिए वाड्रा के खिलाफ जांच तेज कर दी गई है जबकि जनता और किसानों से जो वादे किेए गए थे वे तो पूरे नहीं किेए गए। इसके अलावा एक अहम वजह यह भी है कि चुनाव पूर्व अपने अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा ने रॉर्बट वाड्रा के कथित भ्रष्टाचार को इतना बड़ा मुद्दा बनाया था कि सरकार कुछ न करती तो उसकी बड़ी किरकिरी होती।       

 

हरियाणा के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज का दावा है कि हुड्डा सरकार ने सोनिया गांधी के दामाद को खुश करने के लिए सारी हदें पार कर दी थीं। वह मीडिया से यह भी कहते हैं कि वाड्रा मामले के अलावा बाकी जमीनी सौदों की तहकीकात भी की जाएगी। गुड़गांव के सेक्टर 83 में कालोनियां विकसित करने के लिए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को मिले लाइसेंस की जांच अब दिल्‍ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एस.एन ढींगरा करेंगे। उनकी अध्‍यक्षता में एक सदस्य जांच आयोग का गठन किया गया है। आयोग अपनी पहली बैठक से छह महीने के भीतर रिपोर्ट दे देगा। गौरतलब है कि हरियाणा विधानसभा में पेश कैग की रिपोर्ट में भी वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी सहित कई कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने की बात कही गई थी। वाड्रा की कंपनी ने गुड़गांव जिले के मानेसर में वर्ष 2008 के दौरान 3.5 एकड़ जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेची थी। उस समय हुड्डा सरकार की मंजूरी से इस जमीन के भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) के बाद डीएलएफ को बेचा गया था। यह जमीन वाड्रा की कंपनी ने मात्र 15 करोड़ रुपये में खरीदी थी। सीएलयू के बाद अचानक इसकी कीमत कई गुना बढ़ गई थी।  

 

इस मामले को भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तो बदले की कार्रवाई बताया जबकि भाजपा नेता नलिन कोहली कहते हैं कि जब हम वाड्रा के खिलाफ जांच नहीं कर रहे थे तो लोग कह रहे थे कि हम अपने वादे से मुकर गए अब जब हमने जांच शुरू कर दी है तो इसे बदले की भावना बताया जा रहा है। वाड्रा दोषी हैं या नहीं यह तो जांच से ही पता चलेगा। फिलहाल भाजपा जांच से अपने उक्त मकसद हासिल करना चाहती है।   

 

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