Advertisement

असम, बंगाल में नीतीश रणनीति

महागठबंधन बनाकर भाजपा को पटखनी देने वाले मुख्य‍मंत्री नीतीश कुमार अगले साल असम और पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार जैसा खाका खींचने में जुट गए हैं। इसके लिए नीतीश कुमार स्वयं कांग्रेस के अलावा इन राज्यों के क्षेत्रीय दल के नेताओं के संपर्क में हैं।
असम, बंगाल में नीतीश रणनीति

 सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को एक मंच पर लाने और असम में कांग्रेस एवं असम गण परिषद का गठबंधन बनाकर ऑल इंडिया यूनाइटेट डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच समझौता कराने की जिम्मे‍दारी नीतीश कुमार ने स्वयं अपने हाथ में ले ली है। पार्टी के एक रणनीतिकार ने आउटलुक को बताया कि नीतीश कुमार देश में भाजपाविरोधी मोर्चा बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। इसके लिए स्वयं नीतीश कुमार विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक हाल ही की दिल्ली यात्रा के दौरान नीतीश कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल से हुई मंत्रणा के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से भी मिले। नीतीश की रणनीति है कि बंगाल में दोनों दल एक साथ आ जाएं तो भाजपा को आसानी से पटकनी दी जा सकती है। इसमें एक फार्मूला यह भी है जनता दल यूनाइटेड भी कुछ सीटों पर अपने उम्मी‍दवार खड़े करे। नीतीश इसी तरह का फार्मूला असम में भी अपनाना चाहते हैं। असम की रणनीति के मुताबिक असम गण परिषद और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ें जबकि बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेट डेमोक्रेटिक फ्रंट जिन सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं वहां तालमेल रखा जाए। सूत्रों के मुताबिक बदरुद्दीन अजमल ने नीतीश कुमार से स्वयं संपर्क कर इस बात की सहमति दे दी है कि अगर असम में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस का सहयोग करना पड़ेगा तो वह पीछे नहीं हटेंगे। नीतीश अब पूरे देश में गैर भाजपा मोर्चा बनाना चाहते हैं।

इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी नीतीश कुमार कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल और बसपा को एक मंच पर लाने की तैयारी में हैं। हालांकि बसपा ने अकेले चुनाव लडऩे का मन बनाया है लेकिन बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार बसपा नेताओं को इस बात के लिए समझा रहे हैं कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो लड़ाई त्रिकोणीय होगी। महागठबंधन बनाने से निश्चित जीत होगी और मायावती को उत्तर प्रदेश की कमान मिल जाएगी। सूत्रों के मुताबिक नीतीश समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठजोड़ के बिल्कुल ही पक्ष में नहीं है। इसका कारण साफ है कि बिहार चुनाव में जिस तरह से सपा ने अंतिम समय पर साथ छोड़ा इसको लेकर नीतीश और लालू दोनों नाराज हैं। नीतीश की इस रणनीति को राजद प्रमुख लालू यादव का भी साथ मिल रहा है। जदयू के नेता मानते हैं कि नीतीश कुमार की छवि राष्ट्रीय स्तर पर छा गई और भाजपा विरोधी दल उनकी बात मानने के लिए तैयार हैं।

'नरेंद्र मोदी का विकल्प हैं नीतीश कुमार’
जनता दल यूनाइटेड के सांसद अली अनवर से बातचीत-

 

चर्चा है कि बिहार के बाद असम और बंगाल के चुनावों में महागठबंधन बनाने की तैयारी जारी है और इसमें मुख्य‍मंत्री नीतीश कुमार की बड़ी भूमिका है। इस बारे में आप क्या‍ कहेंगे?
सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए बिहार का फार्मूला आज सभी भाजपा विरोधी दलों को रास आ रहा है। नीतीश कुमार जी की अपनी छवि है। आज कई राजनीतिक दल यह मानने लगे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहतर विकल्प हैं नीतीश कुमार। इसलिए आज वह जहां भी जाएंगे मतदाता उनसे प्रभावित होगा।
तो क्या‍ अभी से 2019 की तैयारी मानी जाए?
ऐसा नहीं है उससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। यह तो जनता को तय करना है कि क्या‍ करना है।
बंगाल, असम में जनता दल यूनाइटेड का जनाधार नहीं है। क्या‍ नीतीश कुमार इन राज्यों में प्रचार करने जाएंगे?
बिहार की जीत के बाद जो छवि नीतीश कुमार की बनी है वह सभी को पता है। अगर इन राज्यों के सियासी दल चाहेंगे तो बिल्कुल प्रचार करेंगे।
महागठबंधन की सरकार के बारे में कहा जा रहा है आज नहीं तो कल इसमें आपसी टकराव होगा?
ऐसा कुछ नहीं है। जिस गंभीरता के साथ महागठबंधन की सरकार चल रही है आने वाले दिनों में लोग उसकी मिसाल देंगे।

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad