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नीतीश ने मोदी से हाथ मिला ही लिया

राजनीतिक दुश्मनी छोड़ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिला ही लिया। इससे पहले बिहार में राजनीतिक समीकरण के चलते नीतीश मोदी से मिलना नहीं चाहते थे। 34 महीनों बाद मोदी और नीतीश की मुलाकात में बिहार के विकास को लेकर चर्चाएं हुई।
नीतीश ने मोदी से हाथ मिला ही लिया

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया तब नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था। उसके बाद लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया। लेकिन आज बदले सियासी माहौल में दोनों नेताओं की मुलाकात ने यह जता कि सियासत में कोई दुश्मन नहीं होता। मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के लागू होने के चलते बिहार को पचास हजार करोड़ रूपये का नुकसान होगा और वह चाहते हैं कि केन्द्र सरकार इसकी भरपाई करे। नीतीश ने कहा कि साल 2000 में बिहार के बंटवारे के बाद पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष के तहत राज्य को मिलने वाली विशेष सहायता पर भी अब प्रश्नचिन्ह लग गया है। हमारी शंका दूर होनी चाहिए। हमें वह राशि मिलनी चाहिए और भविष्य में भी यह राशि मिलती रहनी चाहिए। नीतीश ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सभी योजनाओं के लिए पहले ही अपनी मंजूरी दे दी है जो राज्य को प्राप्त हुए 12000 करोड़ रूपये से पांच वर्षों में लागू होनी है। प्रधानमंत्राी कार्यालय ने आज की इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। बिहार में नीतीश कुमार द्वारा 23 मार्च को बुलायी गयी एक सर्वदलीय बैठक ने वित्त आयोग की सिफारिशों के चलते राज्य को होने वाले तकरीबन पचास हजार करोड़ रूपये के नुकसान के बारे में प्रधानमंत्राी नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने का फैसला किया था। भाजपा ने इस बैठक का बहिष्कार किया था। इस बैठक ने केन्द्र सरकार से यह मांग करने का भी निर्णय किया था कि वित्त आयोग की सिफारिशों के चलते राज्य को होने वाले इस भारी नुकसान की भरपाई केन्द्र सरकार करे।

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