सूत्रों के मुताबिक बैठक शुरू होते ही कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मानती तब तक गतिरोध बना रहेगा। कांग्रेस नेता की बात का समर्थन कई दलों ने किया तो कई ने विरोध भी किया। लेकिन बैठक के दौरान जब सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया तब जनता दल यूनाइटेड और वामपंथी दल कांग्रेस के समर्थन खुलकर आ गए। हालांकि समाजवादी पार्टी और बीजू जनता दल के सांसदों ने बीच का रास्ता निकालने की बात कही। लेकिन कांग्रेस अपनी मांग पर अड़ी रही।
सूत्रों के मुताबिक सरकार कुछ विधेयकों को लेकर चर्चा करती रही लेकिन ललित गेट और व्यापमं के मामले चुप्पी साधे रही। उसके बाद से कांग्रेस की रणनीति साफ हो गई कि संसद को चलने नहीं दिया जाएग। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने बताया कि सरकार अगर कोई प्रस्ताव लाए तब विचार हो लेकिन सरकार की ओर से केवल अपील की जा रही है।
दूसरी ओर संसदीय कार्यमंत्री वेकैया नायडू का कहना है कि कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है। उन्होने कहा कि कोई इस्तीफा नहीं होगा। क्योंकि राजग के मंत्रियों ने कोई अनैतिक काम नहीं किया है। वेकैया का दावा था कि केवल दो दल ही विरोध में है। बाकी सभी दल चाहते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले। लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया कि तब तक उनके मुद्दों पर प्रस्ताव नहीं आता तब तक सदन नहीं चलने दिया जाएगा।