कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मांग की कि अगर सरकार संसद सत्र को सुचारू रूप से चलाना चाहती है तो विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पहले इस्तीफा दिलवाए। लेकिन सरकार की ओर से साफ तौर पर कह दिया गया है कि इस्तीफा नहीं होगा।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि किसी का अल्टीमेटम स्वीकारने का सवाल ही नहीं उठता। इस्तीफे का सवाल कहां से पैदा होता है ? सरकार की ओर से किसी केंद्रीय मंत्री ने कोई गैर कानूनी या अनैतिक कार्य नहीं किया है। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों के नेताओं से कहा कि मानसून सत्र छोटा है इसलिए इसके समय का सदुपयोग हो और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन विपक्ष ने किसी भी बात को मानने से इंकार कर दिया।
समाजवादी पार्टी के प्रो. रामगोपाल यादव का कहना था कि बैठकों के दौरान तो सभी दल हामी भर देते हैं सत्र सुचारू रूप से चलेगा लेकिन होता इसका उलटा है। सबके अपने मुद्दे होते हैं और उन मुद्दों पर ही संसद में विराेध होता है। सपा नेता ने कहा कि भूमि विधेयक में किए गए मुद्दों से उनकी पार्टी सहमत नहीं है। बैठक में कांग्रेस, जदयू, सपा, बसपा, राजद, द्रमुक, वाम दल और राजग के घटक दलों सहित 29 पार्टियों के 42 नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया, जो दो घंटे चली। बैठक में तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रमुक का कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था।