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अचानक सबको भाने लगे महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप अचानक देश की राजनीति में महत्वपूर्ण हो गए हैं। तभी तो उनकी जयंती को पूरे देश में राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग को लेकर देश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है और बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं तेलंगाना में यह अभियान जोरों पर है।
अचानक सबको भाने लगे महाराणा प्रताप

इन हस्ताक्षरित मांगपत्रों को डाक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जा रहा है। पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप की जयंती को स्वाभिमान दिवस के तौर पर मनाने को लेकर विचार करने का भरोसा दिया मगर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की। जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी अभी इस मामले को लेकर कोई राय नहीं बना पाई है। विपक्षी इसे शिवाजी की तरह महाराणा प्रताप को हिंदुओं के नायक के रूप में स्थापित करने की तैयारी बता रहे हैं मगर इस अभियान के संयोजक रंजन कुमार सिंह इससे इत्तेफाक नहीं रखते। महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई को मनाने वाले रंजन सिंह लंबे समय से इस दिवस को राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस घोषित करने की मांग उठा रहे हैं।

आउटलुक से रंजन कुमार सिंह ने कहा कि आज जबकि समस्त मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है ऐसे में समाज और राष्ट्र को स्वाभिमान से जोड़ना जरूरी हो गया है। स्वाभिमान को जगाकर ही सत्य, अहिंसा और त्याग आदि भावनाओं से जुड़ा जा सकता है। भारतीय इतिहास में सत्य, अहिंसा और त्याग के अनेक उदाहरण हैा पर स्वाभिमान का प्रतीक सिर्फ महाराणा प्रताप को ही कहा जा सकता है जिसपर सभी जातियां समान रूप से गर्व कर सकती हैं। सिंह यह भी कहते हैं कि उनके इस अभियान का हिंदू या मुसलमान से कोई लेदा देना नहीं है। हकीकत यह है कि हल्दी घाटी का युद्ध हिंदू या मुस्लिम के बीच की लड़ाई नहीं थी बल्कि आक्रांता और स्वतंत्रचेता मन के बीच का संघर्ष था। प्रताप की फौज में जहां भील आदिवासियों के रूप में दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व था वहीं हकीम खां के रूप में मुस्लिम कौम की सहभागिता भी थी। वैश्य समाज के भामा शाह भी उनके साथ थे। इस लिए महाराणा प्रताप की जयंती को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाना इन सभी समुदायों का साझा अभिषेक होगा। रंजन कुमार सिंह ने बताया कि उनके अभियान में भारत सरकार के पूर्व मंत्री नागमणि तथा संजय पासवान और बिहार के पूर्व मंत्री अखलाक अहमद शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें बिहार के सांसद सी पी ठाकुर और आर के सिन्हा, बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेष नारायण सिंह, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव, विधानसभा के उपाध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह आदि का समर्थन और संरक्षण हासिल है।

रंजन कुमार सिंह भले ही 9 मई को महाराणा प्रताप की जयंती मनाएं मगर भारतीय जनता पार्टी का एक खेमा इस अभियान की कमान शायद उनसे छीनने के मूड में है क्योंकि 20 मई को दिल्ली के अधिकांश अखबारों में हरियाणा की भाजपा सरकार की तरफ से एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ जिसमें महाराणा प्रताप की जयंती 20 मई को बताते हुए लोगों को इस जयंती की बधाई दी गई। जाहिर है अब जयंती की तिथि को लेकर विवाद शुरू होगा और अगर सरकार महाराणा की जयंती को राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के रूप में मनाने पर सहमत होती है तो इसका श्रेय लेने के लिए रंजन कुमार सिंह के अलावा भाजपा का एक गुट भी सामने तैयार खड़ा मिलेगा।

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