बिहार की राजनीति में चिराग पासवान, बीते कुछ महीनों से लगातार अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के भीतर चाचा पशुपति कुमार पारस और उनके समर्थक गुटों के साथ कुर्सी, दावेदारी को लेकर चल रही खींचातानी की वजह से सुर्खियों में बने हुए हैं। सोमवार को उन्हें अपने दिवंगत पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती पर आशीर्वाद यात्रा निकाल पैर के नीचे से जाती जमीन को बचाने की रणनीति शुरू की।
चिराग लगातार राज्य के सीएम नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए पलटवार कर रहे हैं। चाचा पारस को लेकर उन्होंने मंगलवार को कहा कि जिस व्यक्ति ने पासवान जाति का अपमान किया है। हमेशा लोजपा नेताओं के खिलाफ काम किया है। यहां तक की रामविलास की जयंती पर किसी एक जेडीयू के नेता और सीएम नीतीश ने श्रद्धांजलि नहीं दी। उसी के गोद में पशुपति पारस जाकर बैठ गए हैं। नीतीश ने रामविलास पासवान की राजनीतिक हत्या करवाने का प्रयास किया था।
इधर मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। इसको लेकर संभावनाएं आठ जुलाई को जताई जा रही है। अटकले इस बात की भी है कि चिराग के चाचा पशुपति पारस को मंत्री बनाया जा सकता है, जिस बात को लेकर चिराग ने मंगलवार को कहा है कि ये संभव नहीं है। उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है और पत्र लिखकर उन्होंने पीएम मोदी को अवगत करा दिया है। चेतावनी देते हुए चिराग ने कहा है कि यदि फिर भी ऐसा होता है तो वो कोर्ट जाएंगे।
पार्टी के भीतर जारी बगावत को लेकर बीजेपी आलाकमानों ने चुप्पी साध रखी है। जिस राम और हनुमान का चिराग जिक्र करते नहीं थकते हैं। लेकिन, कही से उन्हें राजनीतिक मदद मिलती नजर नहीं आ रही है। बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का हाथ थामने से भी वो परहेज कर रहे हैं। जिसके बाद अब ये सवाल उठने लगे हैं कि आखिर चिराग किसके भरोसे हैं। क्या अकेले वो अपनी पार्टी के बगावती तेवर को संभाल लेंगे।