28 जनवरी को राजस्थान के 20 जिलों के 90 निकायों के चुनाव होने हैं, जिसको लेकर राज्य में सत्ता से बेदखल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रणनीति बनाने में जुटी हुई है, ताकि सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को पटखनी दी जा सके। इस बाबत दिल्ली में 8 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया प्रदेश अध्यक्ष गुलाब चंद कटारिया और विधानसभा में उपनेता राजेंद्र राठौर के साथ लंबी बैठक चली। खास बात ये रही कि इस बैठक में राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई। दरअसल, वसुंधरा राजे समर्थकों की मांग है कि राजे को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का चेहरा घोषित किया जाए। जबकि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है पार्टी से बढ़कर कोई नहीं है और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके चेहरे हैं। मार्च में राज्य की तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं।
बैठक में राजे के शामिल न होने के ठीक एक दिन बाद यानी शनिवार को वसुंधरा समर्थकों ने एक नया संगठन बना लिया है। जिसके बाद बीजेपी में फूंट के संकेत मिलने लगे हैं। राजे के समर्थकों ने इस सियासी संगठन का नाम “वसुंधरा राजे समर्थक राजस्थान मंच” दिया है। इसको लेकर कवायद भी शुरू कर दी गई है। 25 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और ये भाजपा में पहली बार हो रहा है, जब किसी संगठन के नेता के समर्थकों द्वारा अलग सियासी ‘पिच’ तैयार की जा रही हो। इसके बाद से अब सियासी गलियारो में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि क्या वसुंधरा ने बगावत के सुर अख्तियार कर लिये हैं? और अगले विधानसभा चुनाव से पहले वो अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं। क्योंकि, कुछ दिनों पहले हीं राजे के विरोधी नेता घनश्याम तिवारी की बीजेपी में वापसी हुई है।
राजे समर्थकों द्वारा अलग संगठन बनाए जाने की जानकारी पहले से भाजपा आलाकमानों को थी। राज्य के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बयान जारी कर कहा, ''इस बात की जानकारी भाजपा के सभी नेताओं को है। जो लोग इस संगठन में काम कर रहे हैं वो भाजपा के सक्रिय सदस्य नहीं हैं। भाजपा व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं हैं, यह संगठन आधारित पार्टी है। पार्टी का चेहरा सिर्फ पीएम मोदी हैं।''
संभवत: वसुंधरा और उनके समर्थकों को डर है कि आगामी चुनाव में उन्हें सीएम का चेहरा न घोषित किया जाए। इसी बाबत अलग मंच तैयार कर वसुंधरा की छवि को लोगों के बीच पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है। हालांकि, इन सभी मसलों पर पूर्व सीएम राजे की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।