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दो साल में भाजपा 128 से घटकर आई 76 पर, ममता के सामने नहीं चले जीत के फॉर्मूले

पश्चिम बंगाल चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले 2016 विधानसभा के मुकाबले बढ़त बनाते हुए अब...
दो साल में भाजपा 128 से घटकर आई 76 पर, ममता के सामने नहीं चले जीत के फॉर्मूले

पश्चिम बंगाल चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले 2016 विधानसभा के मुकाबले बढ़त बनाते हुए अब तक के रूझान के मुताबिक 75 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाने में कामयाब रही है। 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को तीन सीट मिली थी। वहीं, एक बार फिर सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस जीत दर्ज करते हुए सत्ता में वापसी कर ली है। टीएमसी ने अपने इतिहास में इतनी बड़ी जीत कभी दर्ज नहीं की थी। अब तक के रूझान के मुताबिक टीएमसी के खाते में बहुमत से अधिक 214 सीटें जाती हुई दिखाई दे रही है।

लेकिन, जिस तरह से देश में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद मोदी लहर दिखने को मिला और ये 2019 में भी बरकरार रहा। उसके मुकाबले अब इसमें भाजपा को साफ-साफ निराशा दिखाई दे रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बंगाल में भाजपा ममता के किले में सेंध लगाते हुए 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही थी। जबकि ममता को 22 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाबी मिली थी।

विधानसभावार चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात्र 28 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त म‍िली थी, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में 128 क्षेत्रों में 'कमल' खिला। जबकि साल 2014 में 214 क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने वाली टीएमसी अब केवल 158 क्षेत्रों में सिमटकर रह गई थी।

इस बार के विधानसभा चुनाव में ममता की अगुवाई में टीएमसी ने एतिहासिक जीत दर्ज करने की ओर है। दिनभर जारी काउंटिंग के बाद अब तक के आए रूझान के मुताबिक टीएमसी 214 सीटों पर आगे है जबकि कुछ पर जीत भी पार्टी उम्मीदवार ने कर ली है। वहीं, बाबुल सुप्रियो, लॉकेट चटर्जी और स्वप्न दासगुप्ता जैसे दिग्गज ममता के उम्मीदवारों के सामने पिछड़ते नजर आ रहे हैं।

बंगाल चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने भी सारे दांव खेल दिए थे। सीएए-एनआरसी से लेकर जय श्री राम और 'दीदी... ओ दीदी' की बदलौत भाजपा दीदी के किले पर काबिज होने के लिए चली थी। प्रचार के दौरान बीजेपी लगातार ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगा रही थी। लेकिन, ममता बनर्जी ने इसका तोड़ निकालते हुए चुनावी मंच से मुस्लिमों को एकजुट रहने का संदेश दिया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए एक दिन के चुनाव प्रचार पर बैन लगाया था। जिसके खिलाफ ममता ने धरना दिया था।

ममता बनर्जी पर भाजपा ने आरोप लगाया कि वो 'जय श्रीराम' के नारे से चिढ़ती हैं। क्योंकि, उन्होंने कोलकाता के एक कार्यक्रम में पीएम मोदी के सामने इसका विरोध किया था और सभा को संबोधित करने से इंकार कर गईं थीं। इस वजह से बीजेपी पूरे चुनाव प्रचार में उन्हें हिंदू विरोधी दिखाने की कोशिश करती रही। लेकिन, ममता बनर्जी ने चुनावी मंच से चंडी पाठ कर इसका जवाब दे डाला। जब ममता को बीजेपी ने मुस्लिम बता दिया तो उन्होंने बताया कि वह ब्राह्मण हैं और शांडिल्य गोत्र का कार्ड खेल दिया। ममता बनर्जी ने चोट की बात कहकर पूरा चुनाव प्रचार व्हिलचेयर पर कीं। यानी सहानुभूति वोट के लिए भी ममता ने व्हिलचेयर को बड़ा दांव खेला।

 

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