कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक मामला राजनीतिक है इसलिए सभी दांव-पेंच चलाए जा रहे हैं और कानून से ज्यादा सरकार की भूमिका नजर आ रही है। इसलिए कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय पर हमला बोल दिया है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ कानून विशेषज्ञ पूरे मामले पर नजर गड़ाए हुए हैं ताकि सोनिया और राहुल को अदालत में नहीं जाना पड़े। वहीं भाजपा से जुड़े नेता साफ तौर पर कहते हैं कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। कानून अपने तरीके से काम कर रहा है।
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी। अखबार के पहले संपादक भी नेहरू जी बने और प्रधानमंत्री बनने तक नेशनल हेराल्ड बोर्ड के चेयरमैन रहे। अखबार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद इसका प्रकाशन 2008 में बंद करना पड़ा। उस समय उसका मालिकाना हक एसोसिएट जर्नल्स के पास था। इस कंपनी ने कांग्रेस पार्टी से बिना ब्याज के 90 करोड़ रूपये का कर्ज लिया। कांग्रेस पार्टी की ओर से यह कहा गया कि कर्ज देने का मकसद कंपनी के कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाना है। अखबार बंद होने के बाद इसका प्रकाशन फिर नहीं शुरू हो पाया। बीच-बीच में यह चर्चा जरूर होती रही कि अखबार का प्रकाशन फिर से शुरू होगा। लेकिन यह चर्चा ही बनी रही।
जानिए क्या है हेराल्ड प्रकरण
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है। इनमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए। कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे। तब से इस आदेश की तामील लंबित है।
स्वामी की दलील है कि सोनिया-राहुल की कंपनी यंग इंडिया ने दिल्ली में सात मंजिला हेराल्ड हाउस को किराये पर कैसे दिया। इसकी दो मंजिलें पासपोर्ट सेवा केंद्र को किराये पर दी गईं जिसका उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने किया था। यानि यंग इंडिया किराये के तौर पर भी बहुत पैसा कमा रही है। राहुल ने एसोसिएटेड जर्नल में शेयर होने की जानकारी 2009 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में छुपाई और बाद में 2 लाख 62 हजार 411 शेयर प्रियंका गांधी को ट्रांसफर कर दिए। राहुल के पास अब भी 47 हजार 513 शेयर हैं। आखिर कैसे 20 फरवरी 2011 को बोर्ड के प्रस्ताव के बाद एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को शेयर हस्तांतरण के माध्यम से यंग इंडिया को ट्रांसफर किया गया जबकि यंग इंडिया कोई अखबार या जर्नल निकालने वाली कंपनी नहीं है?
स्वामी ने सवाल किया कि कांग्रेस द्वारा एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को बिना ब्याज पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज कैसे दिया गया जबकि यह गैर-कानूनी है क्योंकि कोई राजनीतिक पार्टी किसी भी व्यावसायिक काम के लिए कर्ज नहीं दे सकती? स्वामी का कहना है कि जब एसोसिएटेड जर्नल का ट्रांसफर हुआ तब इसके ज्यादातर शेयरहोल्डर मर चुके थे ऐसे में उनके शेयर किसके पास गए और कहां हैं? स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि आखिर कैसे एक व्यावसायिक कंपनी यंग इंडिया की मीटिंग सोनिया गांधी के सरकारी आवास 10 जनपथ पर हुई?