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राहुल की वापसी से क्या कांग्रेस को वापस मिलेगी जमीन

आखिरकार राहुल गांधी की घर वापसी हो गई। अब कल वह किसानों के बीच पार्टी की क्या दशा-दिशा तय करेंगे। इसकी तैयारी में कांग्रेस पार्टी का सारा नेतृत्व जुटा हुआ है। कई नेताओं ने बताया कि अब पार्टी में एक जान का संचार होगा और वह नई ऊर्जा के साथ किसानों के बीच भू-अधिग्रहण पर जाएगी।
राहुल की वापसी से क्या कांग्रेस को वापस मिलेगी जमीन

   किसानों के आंदोलन से क्या कांग्रेस को उनकी जमीन वापस मिलेगी, यह अभी खुद कांग्रेस नेतृत्व को भी पता नहीं है।उधर, राहुल वापसी के साथ ही संगठन में बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है।   

आउटलुक को मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस एक नई वेबसाइट भी लॉन्च करने की तैयारी में है। इस वेबसाइट का पूरा फोकस किसान और भूमि-अधिग्रहण पर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश होगा। इसमें कांग्रेस के सासन में लाए गए भू-अधिग्रहण कानून की मौजूदा अध्यादेश से तुलना की जाएगी। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक इस वेबसाइट के जरिए इस अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के देशव्यापी कार्यक्रमों की जानकारी भी मीडिया तक पहुंचाइगी। अब यह होगा कितना, ये अलग बात है, लेकिन अभी भी सीधे जनता से जुड़ने के बजाय वेबसाइट पर ध्यान देने का तर्क वरिष्ठ कांग्रेसी नेतृत्व को समझ नहीं आ रहा है।

आज दिन भर पार्टी के कई नेताओं के साथ पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकातें हुई। राहुल गांधी की ५० दिनों की छुट्टी पर भाजपा ने तो निशाना साधा ही हुआ है, पार्टी के अंदर से भी आवाजें उठ ही रही थीं। इनमें कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित, दिग्विजय सिंह ने आवाज उठाई और राहुल गांधी की नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। इसी बीच इस बात पर भी मीडिया सहित तमाम नेताओं ने बहुत सिर-फुटव्वल किया कि राहुल आखिर गए तो कहां गए। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी वियतनाम गए थे। हालांकि वह कहीं भी गए हों, यह उनका निजी मामला है लेकिन पार्टी को जिस तरह से उन्होंने अधर में छोड़ा, वह जरूर एक बड़ा सवाल उनकी राजनीतिक समझदारी पर सवाल उठता है।

राहुल गांधी लंबे आराम के बाद घर वापस आए हैं, तो क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि वह राजनीतिक प्रखरता से काम करेंगे। जिस राजनीतिक पैनेपन की उम्मीद राहुल गांधी से कांग्रेस के भविष्य के अध्यक्ष के रूप में की जा सकती है, क्या वह अब दिखेगा। ये सारे सवाल अभी लंबे समय तक भारतीय राजनीति में रहेंगे क्योंकि कांग्रेस जितनी भी सिकुड़ जाए, अभी भाजपा का राष्ट्रीय विकल्प के रूप में उसकी दावेदारी है।

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