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भाजपा की मांग, मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करें स्टालिन

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता वी. सेंथिल बालाजी को...
भाजपा की मांग, मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करें स्टालिन

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को कहा कि द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता वी. सेंथिल बालाजी को धन शोधन के एक मामले में जमानत मिलने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाली राज्य कैबिनेट में फिर से शामिल करने पर उच्चतम न्यायालय का सवाल वास्तव में मुख्यमंत्री पर ‘केंद्रित’ था और उन्हें अपने कैबिनेट सहयोगी को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए।

तमिलनाडु भाजपा इकाई के उपाध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने उच्चतम न्यायालय द्वारा सेंथिल बालाजी की बहाली के संबंध में पूछे गए ‘क्या हो रहा है’ के सवाल की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि यह सवाल मुख्यमंत्री से पूछा गया था।

तिरुपति ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘क्या इस सवाल का कारण सेंथिल बालाजी थे? नहीं। यह सवाल मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से पूछा गया है। मंत्री बनना सेंथिल बालाजी का अपराध नहीं है। सवाल यह है कि स्टालिन उन्हें मंत्री के रूप में वापस क्यों लाए।’’

उन्होंने कहा कि स्टालिन एक ‘जिम्मेदार मुख्यमंत्री’ के तौर पर सेंथिल बालाजी से कह सकते थे कि ‘मामले से बाहर आने के बाद’ उन्हें मंत्री बनाया जाएगा।

भाजपा नेता ने दावा किया कि सेंथिल बालाजी ‘400 दिनों से अधिक समय तक’ सलाखों के पीछे रहे क्योंकि ऐसी संभावना थी कि वह मामले में ‘गवाहों पर दबाव डाल सकते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में, केवल मुख्यमंत्री स्टालिन को ही जवाब देना होगा कि बालाजी फिर से मंत्री क्यों बने।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा है और सेंथिल बालाजी को तुरंत मंत्रिमंडल से हटा देना चाहिए....।’’

तिरुपति ने कहा कि पांच साल पहले सेंथिल बालाजी के द्रमुक में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री ने उनकी खूब आलोचना की थी, ‘उन्हें भ्रष्ट कहा था और फिर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।’

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में बालाजी को कैबिनेट मंत्री बहाल करने पर सोमवार को चिंता व्यक्त की थी। कुछ ही दिनों पहले उच्चतम न्यायालय ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में उन्हें जमानत दे दी थी। न्यायालय ने इस मामले में गवाहों की स्वतंत्रता पर आशंका जताने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बालाजी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा, ‘‘हमने आपको जमानत दी और उसके कुछ दिनों बाद ही आप मंत्री बन गए। कोई भी यह सोचेगा कि अब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के कारण गवाह दबाव में होंगे। यह क्या हो रहा है?’’

 

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