भाजपा नेता नारायण राणे के लिए विवाद कोई नई बात नहीं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री राणे हाल ही तब चर्चा में आए जब उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ‘थप्पड़ मारने’ वाला बयान दे दिया। शिवसेना की शिकायत के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया, लेकिन आठ घंटे बाद वे जमानत पर छूट गए। इस प्रकरण के बाद राणे और ठाकरे के बीच वर्षों पुरानी अदावत फिर उभर आई है। शिवसेना में राजनीतिक करिअर की शुरुआत करने वाले राणे बरास्ता कांग्रेस, भाजपा में आए हैं। प्रदेश में इस समय शिवसेना और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार है, सो भाजपा उनके ‘अनुभवों’ का लाभ उठाना चाहती है।
राणे 7 जुलाई को केंद्र में एमएसएमई मंत्री बनाए गए। यह मंत्रालय महाराष्ट्र के एक और बड़े नेता नितिन गडकरी के पास था। इसे राणे का कद बढ़ने के तौर पर देखा गया। पार्टी की ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को थप्पड़ मारने वाला बयान दिया, “देश को आजादी मिले हुए कितने साल हुए हैं... अरे हीरक महोत्सव क्या? मैं होता तो कान के नीचे लगाता।” दरअसल, 15 अगस्त को मुख्यमंत्री ठाकरे हीरक महोत्सव और अमृत महोत्सव में अटक गए थे। उन्होंने पीछे खड़े एक व्यक्ति से इस बारे में पूछा था। इस बयान के बाद राणे को 24 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया।
(मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे)
भाजपा ने राणे का तो समर्थन किया, पर बयान से किनारा कर लिया। पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस बोले, “सीएम पर राणे की टिप्पणी का हम समर्थन नहीं करते, लेकिन हमें समझना होगा कि यह बयान उन्होंने किस परिप्रेक्ष्य में दिया।” राणे की गिरफ्तारी पर राज्य के पूर्व मंत्री और भाजपा महासचिव चंद्रशेखर बावनकुले कहते हैं, “वह बदले की कार्रवाई थी। ठाकरे सरकार पुरानी दुश्मनी का बदला लेना चाहती है। राणे के पुराने बयान तो इससे भी विवादित रहे, तब कार्रवाई क्यों नहीं हुई? ठाकरे ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी को ‘चप्पल मारने’ की बात कही थी। क्या उन पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?”
शिवसेना ने ‘थप्पड़’ को आन-बान की बात बना डाली है। पार्टी ने मुखपत्र सामना में लिखा कि क्या भाजपा नेतृत्व महाराष्ट्र के गौरव और स्वाभिमान का अपमान करने वालों का समर्थन करता है? पार्टी नेता संजय राउत ने कहा, “भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, फडनवीस और चंद्रकांत पाटिल ने राणे का समर्थन किया। महाराष्ट्र के गौरव का अपमान करने वालों के समर्थन में दिल्ली क्यों खड़ी है?"
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा हालात के मुताबिक राणे का इस्तेमाल करेगी। अब तक भाजपा मराठा कार्यकर्ताओं के लिए दो नेता थे गडकरी और फड़नवीस। अब राणे भी आ चुके हैं। माना जा रहा है कि भाजपा अगले साल बीएमसी चुनाव को देखते हुए राणे को राज्य में प्रोजेक्ट कर सकती है। राणे को कोंकण इलाके में राजा के तौर पर माना जाता है और मुंबई में कोंकण से अनेक लोग हैं।
कभी बालासाहेब ठाकरे के करीबी रहे राणे के सियासी सफर की शुरुआत शिवसेना के साथ ही हुई थी। एक फरवरी 1999 को शिवसेना-बीजेपी गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री भी बने। अक्टूबर में सरकार ने समय से पहले चुनाव कराने का फैसला किया, जिसमें गठबंधन हार गया। राणे इस हार की वजह उद्धव ठाकरे को मानते हैं। अपनी आत्मकथा 'नो होल्ड्स बार्ड' में उन्होंने इस बारे में लिखा है।
शिवसेना से उनके रिश्तों में खटास तब और बढ़ी जब उद्धव ठाकरे को 2003 में ‘कार्यकारी अध्यक्ष’ बनाने की घोषणा की गई थी। राणे का मानना था कि उद्धव में शिवसेना का नेतृत्व करने की काबिलियत नहीं है। 2004-05 में गहरे मतभेद के बाद राणे शिवसेना छोड़ कांग्रेस में चले गए। वहां विद्रोह की वजह से पार्टी से छह वर्षों के लिए निलंबित किया गया। 2017 में कांग्रेस छोड़ अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी बना ली। 2018 में भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा और 2019 विधानसभा चुनाव से पहले राणे ने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।
जानकार यह भी बताते हैं कि भाजपा में काफी उथल-पुथल मची है। पार्टी का एक गुट मानता है कि फड़नवीस और ठाकरे के बीच तालमेल न होने से 2019 में प्रदेश में भाजपा-शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी। फड़नवीस को हटा कर बातचीत की जाए तो फिर भाजपा-शिवसेना की सरकार बन सकती है। देखना है कि राणे के साथ नए समीकरण में पार्टी के पुराने नेताओं का क्या होता है।