पिछले कुछ वर्षों में पहली बार राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों की संख्या 90 से नीचे आ गई है। हालांकि मौजूदा रिक्तियों को भरने के लिए होने वाले उपचुनाव के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दल ना सिर्फ हालिया नुकसान की भरपाई कर सकेंगे बल्कि अपनी स्थिति को और भी मजबूत कर लेंगे।
सरकार की ओर से चार नए सदस्यों को मनोनीत भी किया जाना अभी बाकी है। आम तौर पर मनोनीत सदस्य सत्ता पक्ष के साथ होते हैं। हालांकि किसी भी पार्टी से खुद को संबद्ध करने या ना करने को लेकर वे स्वतंत्र होते हैं। वे पारंपरिक रूप से उस सरकार के एजेंडे का समर्थन करते हैं जो उन्हें मनोनीत करती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य के सी वेणुगोपाल के केरल में अलाप्पुझा से लोकसभा चुनाव जीतने के कारण राज्यसभा में राजस्थान की यह सीट खाली हुई है। भाजपा को हरियाणा में एकमात्र सीट जीतने का भी भरोसा है जहां राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण खाली हुई सीट को भरने के लिए चुनाव होने हैं।
हालांकि, कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे कुछ स्वतंत्र या क्षेत्रीय दलों से संबद्ध विधायकों का समर्थन मिल सकता है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक विकल्प की तलाश कर रहे कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं और इस बदौलत वह राज्यसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर दे सकती है।
निर्वाचन आयोग ने अभी तक 11 सदस्यों के इस्तीफे से रिक्त हुई 11 सीटों को भरने के लिए चुनाव की तारीख की घोषणा नहीं की है। इनमें से 10 सदस्य लोकसभा के लिए चुने गए हैं जबकि बीआरएस के केशव राव ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस्तीफा दे दिया। कुल 245 सदस्यीय राज्यसभा में 19 सीटें खाली हैं। इनमें से चार जम्मू एवं कश्मीर से हैं। इस पूर्ववर्ती राज्य को 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। अभी वहां विधानसभा का गठन नहीं हुआ है।