हाल ही के विधानसभा चुनाव में अपने ही चचेरे भाई से हारी पंकजा मुंडे ने अपने फेसबुक पोस्ट से महाराष्ट्र राजनीति में खलबली मचा दी है। कल पोस्ट लिख कर सुगबुगाहट पैदा करने वाली बीजेपी नेता ने आज ट्विटर बायो से अपनी पार्टी भाजपा का नाम हटा दिया है। पंकजा महाराष्ट्र में मंत्री भी रह चुकी हैं। ट्विटर बायो से पार्टी का नाम हटाने के बाद तरह-तरह की अटकलों का दौर जारी है। उनके पार्टी छोड़ने की बात को बल इसलिए भी मिल रहा है कि इन सब के बीच शिवसेना का कहना है कि भाजपा के कई नेता उसके संपर्क में हैं।
राजनैतिक पसोपेश
पंकजा ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि वह आठ से 10 दिन में यह तय करेंगी कि उन्हें कौन से रास्ते जाना है। इसके बाद आज सोमवार को उन्होंने ट्विटर बायो से अपनी पार्टी का नाम हटा दिया। मुंडे ने अपने ट्विटर बायो से सभी विवरणों को हटा दिया, जिसमें भाजपा और उनकी राजनीतिक यात्रा का विवरण शामिल था। इससे पहले मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी ट्विटर बायो से पार्टी का नाम हटा चुके हैं। 28 नवंबर को पंकजा ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बधाई देने के लिए तीन ट्वीट किए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री को तो बधाई दी लेकिन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस द्वारा गठित सरकार का जिक्र नहीं किया।
गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं पंकजा
पंकजा, पार्टी के दिवंगत दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। 21 अक्टूबर को राज्य विधानसभा चुनावों में वे अपने चचेरे भाई और राकांपा प्रतिद्वंद्वी धनंजय मुंडे से बीड जिले की परली सीट से हार गई थीं। वे देवेंद्र फड़नवीस सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। शिवसेना प्रमुख ठाकरे के नेतृत्व वाली नई सरकार के गठन से पहले हुई राज्य भाजपा इकाई की सभी कोर कमेटी की बैठकों में वह मौजूद रही थीं। रविवार को अपने फेसबुक पोस्ट में, उन्होंने अपने दिवंगत पिता की जयंती 12 दिसंबर के अवसर पर लोगों को गोपीनाथगढ़ आने का निमंत्रण दिया है। गोपीनाथगढ़ बीड में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है।
10 दिनों का मांगा समय
मराठी में लिखी अपनी फेसबुक पोस्ट में मुंडे ने लिखा था, “राज्य में बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, सोचने और आगे का रास्ता तय करने की आवश्यकता है। मुझे खुद से संवाद करने के लिए 8-10 दिनों का समय चाहिए। हमारी भविष्य की यात्रा को वर्तमान राजनीतिक परिवर्तनों की पृष्ठभूमि के खिलाफ तय करने की आवश्यकता है।” पंकजा ने आगे लिखा, “आगे क्या करना है? कौन सा रास्ता लिया जाए? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं के बारे में सोचूंगी और 12 दिसंबर को आपके सामने आऊंगी।”
हार स्वीकार पर...
पंकजा ने लिखा कि उन्होंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है और इससे आगे बढ़ गई हैं। परली की पूर्व विधायक ने फेसबुक पर कहा, “मैंने पार्टी (भाजपा) की बैठकों में भी भाग लिया।” 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में कई मोड़ आए। शिवसेना ने अपने दशकों पुराने सहयोगी भाजपा के साथ संबंध तोड़ कर ‘महाराष्ट्र विकास अगाड़ी’ नामक मोर्चे के तहत एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बना ली।