गौ सेवा के नाम पर अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दौरान मिले 86% अनुदान पर अपर्णा यादव ने बड़ा बयान दिया है। अपर्णा ने कहा कि इसमें क्या गलत है? यदि कुछ संगठन जानवरों के कल्याण के लिए अच्छा काम कर रहे हैं तो इसे आर्थिक रूप से मदद क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
So what is wrong in it? If some org is doing good work for welfare of animals then why should it not be held financially?: Aparna Yadav pic.twitter.com/HSNn5Qmrnl
— ANI UP (@ANINewsUP) July 3, 2017
दरअसल, यह खुलासा एक आरटीआई के जवाब में हुआ, जिसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2012 से 2017 के पांच वर्षों के दौरान गोरक्षा व गो सेवा के अनुदान में से 86% सिर्फ अपर्णा यादव की संस्था जीव आश्रय दिया गया। सिर्फ इतना ही नहीं, 2012-15 के दौरान आयोग से अनुदान पाने वाली यह एकमात्र संस्था रही। ये एनजीओ राजधानी में अमौसी के पास कान्हा उपवन गौशाला को चलाता है, जिसका मालिकाना हक लखनऊ नगर निगम के पास है।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरटीआई के तहत सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर की मांगी गई सूचना पर गो सेवा आयोग के पीआईओ डॉ. संजय यादव ने बताया कि वर्ष 2012 से 2017 तक 5 साल के दौरान आयोग ने 9 करोड़ 66 लाख रुपये का कुल अनुदान जारी किया, जिसमें 8 करोड़ 35 लाख रुपये (86.4%) सिर्फ अपर्णा यादव के जीव आश्रय एनजीओ को ही दिए गए। साल 2012-13, 2013-14, 2014-15 के दौरान अपर्णा यादव की संस्था जीव आश्रय को 50 लाख, 1 करोड़ 25 लाख और 1 करोड़ 41 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। इसके बाद साल 2015-16 में अपर्णा के एनजीओ को 2 करोड़ 58 लाख और 2016-17 में 2 करोड़ 55 लाख रुपये का ग्रांट दिया गया।
वहीं, इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने कहा कि 'समाजवादी सरकार के शासनकाल में 80 फीसदी से ज्यादा का आर्थिक अनुदान एक विशेष एनजीओ को दिया गया। ये बड़े पैमाने पर हुए राजनीतिक पक्षपात और भाई-भतीजावाद का उदाहरण ही है।
गौरतब है कि मौजूदा समय 2017-18 में आयोग की तरफ से कई गौशालाओं को 1 करोड़ 5 लाख रुपये दिए गए, लेकिन जीव आश्रय को कुछ भी नहीं मिला। ललितपुर के दयोदया गोशाला को सबसे ज्यादा 63 लाख रुपए मिले।