राफेल विमान सौदे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बुधवार को मोदी सरकार पर जमकर हमले किए। इन सभी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार फ्रांस से विमानों की खरीद से जुड़े कई तथ्यों को छुपाया। साथ ही, समझौते के लिए जरूरी प्रक्रिया में आनन-फानन में की बदलाव किए गए।
अरुण शौरी ने कहा कि राफेल विमान डील आजाद भारत का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और इसमें एक नहीं, बल्कि कई गड़बड़ियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने लोकसभा में कहा था कि अंबानी की कंपनी को राफेल विमान बनाने का ऑर्डर क्यों और कैसे मिला, इसकी जानकारी नहीं दे सकती क्योंकि फ्रांस सरकार के साथ गोपनीयता के समझौते से बंधे हुए हैं। शौरी ने कहा कि रक्षा मंत्री ने लोकसभा में सबसे बड़ा झूठ बोला, जबकि भारत और फ्रांस के बीच हुए गोपनीय समझौते में साफ लिखा है कि सिर्फ विमान की तकनीक से जुड़ी जानकारियों के लिए ये समझौता प्रभावी होगा। रक्षा मंत्री बताएं कि अनिल अंबानी की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट क्यों दिया, इसका जवाब देने के लिए ये समझौता कहां मना करता है। शौरी ने कहा कि पीएम मोदी के दौरे के दौरान राफेल विमान की खरीद के लिए जो डील की गई वह बिल्कुल नई डील थी। किसी नई डील के लिए नए सिरे से टेंडर होना चाहिए था।
प्रशांत भूषण और शौरी ने कहा कि इस समझौते में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है और यह बोफोर्स से भी बहुत बड़ा घोटाला है। प्रशांत भूषण ने कहा कि मोदी सरकार ने राफेल डील में देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया है। इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को विमान बनाने की तकनीक मिलनी थी, लेकिन इसकी जगह महज 10 दिन पहले बनी अनील अंबानी से करार कर लिया गया, जिसके पास विमान बनाने का शून्य अनुभव है। प्रशांत भूषण ने कहा कि इस सौदे से देश को 35000 करोड़ रुपये दी चपत लगी है। सौदे में विमान की संख्या घटाए जाने से देश की सुरक्षा को खतरा बढ़ा है। संख्या 126 से 36 किए जाने की जानकारी न तो रक्षा मंत्री को थी न वायुसेना में किसी को। सरकार गोपनीयता का बहाना करके छिपाना चाह रही है।उन्होंने कहा कि सरकार आखिर इन विमानों की कीमत का खुलासा करने से क्यों बच रही है। दरअसल, पहले एक विमान की कीमत लगभग 670 करोड़ रुपये थी, जिसे मोदी सरकार ने 1600 करोड़ में एक विमान के लिए समझौता किया।
भूषण ने कहा कि हमारे देश को सुरक्षा के लिए सात स्क्वाड्रन की ज़रूरत है, तभी 126 विमानों की बात हुई थी। इसके बावजूद यह संख्या बिना किसी की जानकारी के 36 कर दी गई। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि विदेश सचिव ने समझौते से दो दिन पहले कहा था कि पुरानी डील को ही आगे बढ़ाएंगे, पर वहां जाकर नई डील कर ली गई। उन्होंने कहा कि इस लोकसभा में जेपीसी को मौका नहीं मिलेगा, समय कम है। इस मामले की कैग जांच करे और तीन महीने में समयबद्ध जांच हो।
जब यशवंत सिन्हा से यह पूछा गया कि जिस सरकार पर वो इतने बड़े घोटाले का आरोप लगा रहे हैं, उसी सरकार में उनका बेटा मंत्री है। क्या वे अपने बेटे को इस्तीफा देने के लिए कहेंगे? इस पर सिन्हा ने कहा कि वे किसी को इस्तीफा देने के लिए नहीं कहते और अगर वे कहते हैं तो सामने वाला उनकी बात मानेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। उन्होने कहा कि इस तरह के व्यक्तिगत सवाल देश का भला नहीं कर सकते।
The Rafale deal is not only the biggest defence scam of all time, the manner in which Modi abused his position to give undue benefit to Rafale & Anil Ambani & caused a loss of >35KCr to the exchequer, is a textbook case of criminal misconduct under PC Act https://t.co/qpU1W12aP3
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) August 8, 2018