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शिवसेना को भाजपा का संदेश, सम्‍मानजनक सीटें दो वरना रास्ते अलग

महाराष्ट्र में मिलकर सरकार चला रहे भाजपा और शिवसेना गठबंधन के बीच खींचतान लगातार चल रही है। विधानसभा चुनाव में भाजपा के अकेले दम लड़कर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन जाने की फांस अब भी शिवसेना के गले अटकी हुई है।
शिवसेना को भाजपा का संदेश, सम्‍मानजनक सीटें दो वरना रास्ते अलग

इसलिए राज्य की सत्ता में भागीदार होने के बावजूद वह भाजपा की आलोचना का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देती। दूसरी ओर भाजपा ने भी शिवसेना को मौका पड़ते ही उसकी औकात दिखाने का तरीका अपना रखा है। अब देश की सबसे पैसे वाले नगर निकाय, बृहनमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) समेत राज्य के अन्य नगर निकाय चुनावों से पहले दोनों की खींचतान फिर जोर पकड़ गई है।

बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे पाटील कहा है कि स्‍थानीय चुनावों में शिवसेना से गठबंधन होगा तो सम्मान के साथ होगा, वर्ना हम अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम शिवसेना के साथ गठबंधन पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। दानवे ने शुक्रवार को मुंबई में बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय के उद्‌घाटन के मौके पर कहा कि बीजेपी शिवसेना के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है, लेकिन गठबंधन सम्मान के साथ होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो अकेले-अकेले ही चुनाव लड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कि जिला समितियों को इस बारे में निर्देश दे दिए गए हैं, वे प्रदेश समिति की सलाह से योग्य फैसला लेंगी। दानवे का यह बयान शिवसेना नेताओं, उपनेताओं, मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की गुरुवार को मातोश्री पर उद्धव ठाकरे संग बैठक के बाद आया है। इस बैठक में शिवसेना ने आगामी नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में अकेले लड़ने का मन जताया। इस आशय की खबरें आने के बाद से बीजेपी खेमे में हलचल बढ़ी है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस गुरुवार को अमरावती में थे। उन्होंने वहां बीजेपी पदाधिकारियों को सलाह दी कि जहां फायदा हो सकता है वहां शिवसेना से गठबंधन किया जाए। परंतु असली लड़ाई तो मुंबई और ठाणे महानगर पालिका को लेकर हैं। इन दोनों महानगरपालिकाओं में फिलहाल शिवसेना सत्ता की मुख्य पार्टनर है और बीजेपी उसकी सहयोगी है। इस बार दोनों में नंबर वन बनने की लड़ाई कुछ ज्यादा ही तेज होती दिख रही है। दरअसल बीजेपी इन दोनों महानगरपालिकाओं की सत्ता जीतकर शिवसेना की ताकत हमेशा के लिए खत्म करना चाहती है। शिवसेना की पिछलग्गू बनकर यह संभव नहीं होगा इसलिए पार्टी सम्मानजनक सीटों की मांग की आड़ में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है। (एजेंसी)

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