कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह ऑपरेशन सिंदूर के बाद विभिन्न देशों में भेजे जाने वाले राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा बनने से किसी को नहीं रोक रही है और सरकार के कहने पर जिन नेताओं के नाम इसमें शामिल किए गए हैं, उन्हें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए तथा इस प्रक्रिया में योगदान देना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सरकार पर प्रतिनिधिमंडलों के लिए नेताओं के चयन की प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने और "दुर्भावनापूर्ण इरादे" रखने का आरोप लगाया, क्योंकि पार्टी द्वारा नामित चार कांग्रेस नेताओं में से केवल एक को ही प्रतिनिधिमंडल में जगह मिली।
शनिवार को कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने उससे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजे जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए चार नेताओं के नाम प्रस्तुत करने को कहा है। इसमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग को नामित किया गया।
इन चारों में से केवल शर्मा को ही विभिन्न देशों का दौरा करने वाले सात प्रतिनिधिमंडलों में शामिल किया गया है। चार कांग्रेसी नेता - शशि थरूर, मनीष तिवारी, अमर सिंह और सलमान खुर्शीद - जो कांग्रेस द्वारा भेजी गई सूची का हिस्सा नहीं थे, उन्हें सरकार ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है।
रमेश ने पीटीआई-भाषा से कहा, "हमने जो चार नाम भेजे थे, उनमें से उन्होंने केवल एक नेता को शामिल किया। चार अन्य नाम सरकार ने जोड़े, जो वरिष्ठ सांसद और हमारी पार्टी के नेता हैं, उन्हें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए और प्रतिनिधिमंडल में योगदान देना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए और इस संबंध में अधिक राजनीतिकरण उचित नहीं है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसी को नहीं रोका है और प्रतिनिधिमंडल में शामिल हमारे सभी सांसद वहां जाएंगे और योगदान देंगे।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए थरूर के चयन पर कांग्रेस ने नाराजगी जताई थी और सरकार पर "शरारती" मानसिकता के साथ राजनीति करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद का जिक्र करते हुए रमेश ने कहा कि सरकार द्वारा जोड़े गए चार नामों में एक पूर्व विदेश मंत्री भी शामिल हैं, जिन्हें विदेश नीति का अनुभव है।
राजनयिक संपर्क प्रतिनिधिमंडल में अपने चार मनोनीत नेताओं में से केवल एक को शामिल किए जाने पर कांग्रेस ने कहा है कि यह नरेंद्र मोदी सरकार की "पूर्ण निष्ठाहीनता" को साबित करता है और गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर उसके द्वारा खेले जाने वाले "सस्ते राजनीतिक खेल" को दर्शाता है। हालांकि, विपक्षी पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार के कहने पर शामिल किए गए चार प्रतिष्ठित कांग्रेस सांसद/नेता प्रतिनिधिमंडल के साथ जाएंगे।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में आतंकवाद से निपटने के भारत के संकल्प को सामने रखने के लिए दुनिया की राजधानियों में जाने वाले सात प्रतिनिधिमंडलों में 51 राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री शामिल होंगे।
कल रात एक बयान में रमेश ने कहा, "16 मई की सुबह, मोदी सरकार ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करने के लिए विदेश भेजे जा रहे प्रतिनिधिमंडलों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने के लिए कांग्रेस सांसदों/नेताओं के चार नाम मांगे।" उन्होंने बयान में कहा कि इन चार नामों की जानकारी लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 16 मई को दोपहर 12 बजे तक संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को लिखित रूप में दे दी थी।
उन्होंने कहा, "आज देर रात (17 मई) सभी प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों की पूरी सूची आधिकारिक तौर पर जारी कर दी गई है। सबसे अधिक खेद की बात यह है कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सुझाए गए चार नामों में से केवल एक को ही इसमें शामिल किया गया है।"
रमेश ने कहा, "इससे मोदी सरकार की पूरी निष्ठाहीनता साबित होती है और यह भी पता चलता है कि वह गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर हमेशा सस्ती राजनीतिक चालें चलती है।" उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आग्रह पर शामिल किए गए चार प्रतिष्ठित कांग्रेस सांसद/नेता निश्चित रूप से प्रतिनिधिमंडल के साथ जाएंगे और अपना योगदान देंगे।
रमेश ने कहा, "कांग्रेस प्रधानमंत्री और भाजपा के दयनीय स्तर तक नहीं गिरेगी। वह हमेशा संसदीय लोकतंत्र की बेहतरीन परंपराओं को कायम रखेगी और भाजपा की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पक्षपातपूर्ण राजनीति नहीं करेगी।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को शुभकामनाएं देती है।
रमेश ने कहा कि हालांकि, इन प्रतिनिधिमंडलों को कांग्रेस की मांगों से ध्यान नहीं भटकाना चाहिए कि मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हो तथा 22 फरवरी, 1994 को पारित प्रस्ताव को दोहराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए, तथा इसके बाद के घटनाक्रमों पर भी ध्यान दिया जाए।
बैजयंत पांडा, रविशंकर प्रसाद (दोनों भाजपा), संजय कुमार झा (जदयू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), शशि थरूर (कांग्रेस), कनिमोझी (डीएमके) और सुप्रिया सुले (राकांपा-सपा) के नेतृत्व में सात प्रतिनिधिमंडल कुल 32 देशों और बेल्जियम में यूरोपीय संघ के मुख्यालय का दौरा करेंगे।
प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में सात या आठ राजनीतिक नेता शामिल होते हैं और उन्हें पूर्व राजनयिकों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। 51 राजनीतिक नेताओं में से 31 सत्तारूढ़ एनडीए का हिस्सा हैं, जबकि शेष 20 गैर-एनडीए दलों से हैं।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "एक मिशन। एक संदेश। एक भारत। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही ऑपरेशन सिंदूर के तहत प्रमुख देशों से संपर्क करेंगे, जो आतंकवाद के खिलाफ हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाता है।" प्रतिनिधिमंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद, एम जे अकबर, आनंद शर्मा, वी मुरलीधरन, सलमान खुर्शीद, एसएस अहलूवालिया शामिल हैं, जो वर्तमान में संसद सदस्य नहीं हैं।