पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने चार साल पूरे कर लिए हैं लेकिन देश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने सीधे तौर पर इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि गलत नीतियों के कारण देश को नुकसान हो रहा है और लोगों के जीवन पर असर पड़ रहा है।
चिदम्बरम ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा किया है। 10 बिंदुओं में जानिए, अहम बातें-
1- मई 2018 का आरबीआई का कन्ज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे बताता है कि 48 प्रतिशत लोग मानते हैं कि पिछले 12 माह में देश की आर्थिक स्थिति बदतर हुई है।
2- किसानों में सरकार की नीतियों के कारण गुस्सा है और उन्हें विरोध के लिए सड़कों पर आना पड़ा है। इसकी मुख्य वजह है फसलों का बाजिब दाम न मिलना और खेती किसानों के मजदूरी नहीं बढ़ना है। किसानों को लागत पर 50 फीसदी मुनाफा एक जुमला था।
3- पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कृत्रिम रूप से तय कीमतों को लेकर व्यापक आक्रोश है। मई-जून 2014 में जो कीमतें थीं, उसके मुकाबले आज कीमतें अधिक होने की कोई वजह नहीं है।
4- बेरोजगारी चरम पर है। श्रम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि हर तिमाही में सिर्फ कुछ हजार की संख्या में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। सरकार ने अच्छे दिनों का वादा करते हुए सालाना 2 करोड़ लोगों को रोजगार की बात कही थी। श्रम ब्यूरो का तिमाही सर्वेक्षण ही एकमात्र विश्वसनीय आंकड़ा होता है। आखिर अक्टूबर-दिसंबर 2017 के श्रम ब्यूरो सर्वेक्षण को जारी क्यों नहीं किया गया?
5- देश भर के विश्वविद्यालयों में काफी खलबली मची हुई है, क्योंकि युवाओं को पता है कि उनके स्नातक होने के बाद कोई नौकरियां नहीं होंगी। अब तक किसी ने भी उस नये विचार को नहीं अपनाया है कि 'पकौड़ा तलना' भी एक नौकरी है।
6- सरकार की अर्थव्यवस्था के चार में से तीन टायर पंक्चर हो गए हैं। जिसमें निर्यात, निवेश और खपत वाला टायर पंक्चर हैं और केवल खर्चा वाले टायर चल रहा है। यानि सरकार के पास विकल्प सीमित हैं और घाटा लगातार बढ़ रहा है।
7- नोटबंदी के कारण विकास दर में डेढ़ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 2015-16 में विकास दर 8.2 फीसदी से गिरकर 2017-18 में 6.7 रह गई। तमिलनाडू सरकार ने माना है कि 50,000 एसएमई इकाइयां बंद हो गई हैं।
8- जीएसटी से व्यापारियों की मुश्किलें जारी है, करोड़ों का रिफंड बकाया है।
9-ग्रॉस एनपीए 2,63,00 करोड़ से बढ़कर 10,30,00 करोड़ हो गया है, आगे इसमें और भी इजाफा होगा। इंडस्ट्री की क्रेडिट ग्रोथ 5.6 से घटकर 0.7 रह गई है।
10- महंगाई बढ़ रही है, महंगाई दर का अनुमान भी ऊंचा है। कुछ दिन पहले रेपो रेट में इजाफा इसका पर्याप्त सबूत है। ब्याज दरें बढ़ाकर उपभोक्ताओं और कारोबारियों पर बोझ डाला जाएगा।