शिव सेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि चुनाव आयोग पार्टी को चुनाव चिन्ह प्रदान कर सकता है, लेकिन आयोग के पास पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं है।
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अमरावती जनपद में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि 'शिवसेना' नाम उनके दादा (केशव ठाकरे) ने दिया था और वह किसी को इसे 'चुराने' नहीं देंगे।
गौरतलब है कि इस साल फरवरी में, चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को 'शिवसेना' नाम और उसका चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' आवंटित किया था।
चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को पिछले साल एक अंतरिम आदेश में दिए गए शिवसेना नाम (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और 'ज्वलंत मशाल' चुनाव चिह्न को बरकरार रखने की अनुमति दी थी।
विदित हो कि 2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के उपरांत, उद्धव ठाकरे ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ते हुए एनसीपी और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर महा विकास अघाड़ी सरकार बनाई थी। हालांकि, पिछले साल जून में, शिंदे और उनके साथी विधायकों ने ठाकरे के साथ विद्रोह करते हुए भाजपा के साथ गठबंधन कर सत्ता हासिल कर ली।
उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा, ''चुनाव आयोग के पास किसी पार्टी का नाम बदलने का कोई अधिकार नहीं है। यह किसी पार्टी को चुनावी चिन्ह आवंटित कर सकता है। शिवसेना नाम मेरे दादा ने दिया था, चुनाव आयोग नाम कैसे बदल सकता है? मैं किसी को भी पार्टी का नाम चुराने की इजाजत नहीं दूंगा।"
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार से मुकाबला करने के लिए कुछ विपक्षी दलों के एक साथ आने की कोशिश के सवाल पर उन्होंने कहा, "मैं इसे विपक्षी दलों की एकता नहीं कहूंगा, लेकिन हम सभी देशभक्त हैं और हम लोकतंत्र के लिए ऐसा कर रहे हैं।" शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा, यह उन लोगों की एकता है जो अपने देश से प्यार करते हैं।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि इमरजेंसी (1975-77) के दौरान भी तत्कालीन सरकार ने विपक्षी दलों को चुनावों के लिए प्रचार करने दिया था। उन्होंने कहा, "पी एल देशपांडे, दुर्गा भागवत जैसी साहित्यकारों ने भी प्रचार किया और जनता पार्टी की सरकार बनी। मुझे आश्चर्य है कि क्या वर्तमान समय में देश में इतनी आजादी बची है?"
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को पार्टी का नाम 'शिवसेना' और 'धनुष और तीर' चुनाव चिह्न आवंटित करने के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ ठाकरे की याचिका पर 31 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया।
ठाकरे ने पत्र में कहा था कि तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि 11 मई को सुनाए गए शीर्ष अदालत की संविधान पीठ के हालिया फैसले के मद्देनजर विवादित आदेश पूरी तरह से अवैध है। इसके अलावा पत्र में कहा गया, "चुनाव आसन्न हैं, और प्रतिवादी नंबर 1 (शिंदे) अवैध रूप से पार्टी के नाम और प्रतीक का उपयोग कर रहा है।"