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गौरी लंकेश ने आरएसएस के खिलाफ न लिखा होता तो आज वह जिंदा होतीं: बीजेपी विधायक

भाजपा विधायक जीवराज ने एक कार्यक्रम में कहा, "कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में कई आरएसएस कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गंवाई है। अगर गौरी लंकेश ने आरएसएस के खिलाफ नहीं लिखा होता तो वह जिंदा होतीं।"
गौरी लंकेश ने आरएसएस के खिलाफ न लिखा होता तो आज वह जिंदा होतीं: बीजेपी विधायक

वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को 3 दिन बीत चुके हैं लेकिन हत्यारे अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इस बीच लंकेश की हत्या को लेकर सत्ताधारी और विपक्ष के नेताओ के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा है। इसी मामले में भाजपा के एक नेता ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है।

एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, कर्नाटक के श्रृंगेरी से भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री जीवराज ने गौरी लंकेश को लेकर विवादित बयान दिया है। कर्नाटक के चिकमंगलुरु में कार्यक्रम में जीवराज ने कहा कि गौरी लंकेश ने अगर आरएसएस के विरोध में नहीं लिखा होता तो आज वह जीवित होतीं। भाजपा के विधायक ने इस मौके पर कहा कि गौरी लंकेश जिस तरह लिखती थीं, वो बर्दाश्त के बाहर था।

भाजपा विधायक ने कार्यक्रम में कहा, कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में कई आरएसएस कार्यकर्ताओं ने अपनी जान गंवाई है। अगर गौरी लंकेश ने आरएसएस के खिलाफ नहीं लिखा होता तो वह जिंदा होतीं। गौरी मेरी बहन जैसी हैं, लेकिन जिस तरह उन्होंने हमारे विरोध में लिखा, वो स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जीवराज ने आगे कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान कई आरएसएस कार्यकर्त्ताओं को मार दिया गया, लेकिन सिद्धारमैया सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। कांग्रेस राज में हमने संघ के लोगों को मरते हुए देखा, जिसके बाद गौरी ने भी उनके बारे में लिखा लेकिन अगर वह इस तरह के लेखों से दूरी बनाए रखती तो शायद जीवित होतीं।

दूसरी तरफ गौरी लंकेश के हत्यारों की पता लगाने के लिए गठित की गई एसआईटी ने आम लोगों से हत्या की गुत्थी सुलझाने में मदद की अपील की है। 72 घंटों बाद भी हत्यारों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला हैं। पुलिस गौरी लंकेश के घर और आसपास की इमारतों के सीसीटीवी फ़ुटेज से आरोपियों की पहचान में जुटी है। गौरतलब है कि 5 सिंतबर को चार अज्ञात हमलावरों ने बैंगलुरु के राज राजेश्वरी इलाके में स्थित पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी। गौरी लंकेश कन्नड़ में छपने वाली साप्ताहिक मैग्जीन 'लंकेश पत्रिके' की संपादक थीं।

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