कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद भले ही केंद्र सरकार कह रही है कि घाटी में स्थिति सामान्य हैं, लेकिन सरकार के दावे में विरोधाभास दिखाई देता है। पिछले दिनों सीपीआई (एम) नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक मोहम्मद यूसुफ तरीगामी को कश्मीर से दिल्ली एम्स अपना इलाज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मदद लेनी पड़ी। इसी पर तरीगामी ने कहा मैं कोई विदेशी नहीं हूं और न ही फारूक अब्दुल्ला और अन्य नेता आतंकवादी हैं। कश्मीर की स्थिति कश्मीर के लोगों की वजह से नहीं, बल्कि हम सभी राजनेताओं और राजनीति के कारण खराब है। तरीगामी कश्मीर में नजरबंदी का सामना करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले पहले नेता हैं।
'कश्मीरी धीरे-धीरे मौत के करीब जा रहे हैं'
तरीगामी और राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने आज दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जज तरूण गोगोई और एस ए बोबड़े ने उनके वापस कश्मीर जाने पर कोई रोक नहीं है, वह जब चाहें जा सकते हैं बशर्ते उनकी तबीयत यह यात्रा करने योग्य हो। यूसुफ तरीगामी ने कहा कि भाजपा का दावा है कि एक भी गोली नहीं चलाई गई है और कोई भी मारा नहीं गया है, लेकिन कश्मीरी धीरे-धीरे मौत के करीब जा रहे हैं। हम भी जीना चाहते हैं, हमें भी मौका दिया जाना चाहिए। यह एक कश्मीरी, एक हिंदुस्तानी बोल रहा है। ये मेरी अपील है, हमारी भी सुनें, ये बोलते हुए तरीगामी भावूक हो गए और उनकी आंखों से आंसू आ गए।
'संचार टूटने से दिक्कतें'
उन्होने कहा कि मैं परेशान हूं, इस शासन से हमें बहुत उम्मींदें नहीं थीं, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे एक संवैधानिक प्रावधान को अलविदा कहने के लिए इतने उतावले होंगे। कश्मीर के लोग मजबूर नहीं थे, लेकिन मैं इस स्थिति को देखकर चिंतित हूं। दुकानें नहीं खुली हैं, स्कूल नहीं खुले हैं। कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं है। 40 दिनों से अधिक समय से लोग कुछ भी कमाने के लिए कोई भी काम करने में असमर्थ हैं। वहां लोगों का बड़ा वर्ग रोजाना काम करता है और कमाता है और उस आधार पर रहते हैं। संचार टूटना लोगों को सबसे अलग कर रहा है।
कश्मीर की जमीनी हकीकत सरकारी दावे के उलट: येचुरी
वहीं मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए येचुरी ने कहा कि कश्मीर के हालात सामान्य नहीं है। कश्मीर का मुद्दा अब कोर्ट के पास है। कोर्ट को ही इस पर फैसला सुनाने का हक है। येचुरी ने कहा कि हमारे कोर्ट में दायर किए हलफनामे में कहा गया था कि कश्मीर की जमीनी हकीकत कुछ और है जो कि सरकारी दावे के एकदम विपरीत है। एक राज्य दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया है और इसके क्या परिणाम होंगे। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक अलग याचिका दायर की जा रही है।
सीताराम येचुरी ने कहा कि वहां पर लोगों को आजीविका में दिक्कत हो रही है। 40 दिनों से अधिक समय हो गया है, संचार पूरी तरह से बंद है। हम पार्टी के उन लोगों तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिनके पास लैंडलाइन है। वहां पर कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं है। अस्पतालों में दवाओं की कमी की भी खबरें आ रही हैं।