केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फोन पेगासस फोन टैपिंग मामले को लेकर सोमवार को लोकसभा में बयान दिया। उन्होंने कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत हैं। लीक डेटा का जासूसी से कोई लेना देना नहीं है। फोन टैपिंग को लेकर सरकार के नियम बेहद सख्त हैं।
वैष्णव ने कहा कि डाटा का जासूसी से कोई संबंध नहीं है। डेटा से ये साबित नहीं होता कि सर्विलांस किया गया है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि जब हम पेगासस प्रोजेक्ट संबंधी मीडिया रिपोर्ट को तर्क की कसौटी पर परखते हैं तो इसमें कोई आधार नहीं पाते है।
उन्होंने कहा कि हमारे कानून व मजबूत संस्थानों के चलते किसी भी तरह की अवैध निगरानी संभव नहीं है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी या सतर्कता की स्थापित कानूनी प्रक्रिया है। यह सिर्फ देशहित व सुरक्षा के हित में ही की जा सकती है।
वैष्णव ने कहा कि फोन के तकनीकी विश्लेषण के बगैर यह नहीं कहा जा सकता है कि उसे हैक किया गया था उससे सफलतापूर्वक छेड़छाड़ की गई थी। आरोप यह है कि सूची में शामिल कुछ लोगों के फोन की जासूसी की गई। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डाटा में किसी फोन नंबर के शामिल होने का यह मतलब नहीं है कि संबंधित डिवाइस पेगासस से प्रभावित हुई है या उसे हैक करने का प्रयास किया गया है।
उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे इससे संबंधित तथ्यों की छानबीन करें और तार्किक ढंग से समझें। जिन लोगों ने इससे संबंधित खबर विस्तार से नहीं पढ़ी है, उन्हें हम दोष नहीं दे सकते। इस रिपोर्ट का आधार यह है कि एक कंसोर्टियम ने 50 हजार फोन नंबर के लीक डाटाबेस को प्राप्त किया है।
रविवार को इस्राइली सॉफ्टवेयर पेगासस के माध्यम से देश के कई नेताओं व पत्रकारों के फोन टैप करने का मामला सामने आया था। इसे लेकर संसद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया जिसके चलते कार्रवाई बार-बार स्थगित करना पड़ी।
बता दें कि द गार्जियन अखबार ने दावा किया है कि भारत सरकार ने कई पत्रकारों, नेताओं की जासूसी करवाई है।भारत के 40 से ज्यादा पत्रकारों के फोन हैक किए गए। कई मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच की गई, जिसके हवाले से ये दावे किए गए हैं. द वॉशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन समेत दुनिया के 17 न्यूज़ वेबसाइट ने 'द पेगासस प्रोजेक्ट' नाम से रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें भारत ही नहीं दुनिया के हज़ारों लोगों के फोन हैक करने का मामला सामने आया है।