जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद सूबे के सियासी माहौल में काफी गर्मी है। गुरुवार सुबह बीजेपी नेता राम माधव ने नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी पर बड़ा बयान दिया। इससे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राम माधव के बीच जुबानी जंग छिड़ गई।
राम माधव ने कहा कि पीडीपी-एनसी ने पिछले महीने निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था, वो आदेश भी उन्हें सीमा के पार से आया था। ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार बनाने को लेकर उन्हें नए आदेश मिले होंगे। इसी वजह से राज्यपाल को ये फैसला लेना पड़ा।
इस पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा के सीनियर लीडर ने कहा कि यह सब पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है... मैं चैलेंज करता हूं कि हम कैसे और कहां पर पाकिस्तान के इशारे पर चलते हैं, इसके सबूत दिए जाएं...
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “आपने हमारे कार्यकर्ताओं की कुर्बानी का अपमान किया है... आपको सबूत देना होगा या माफी मांगनी होगी... इस मुल्क के लिए हमने क्या किया है, यह हम जानते हैं... अगर आपमें हिम्मत है, तो सबूत लेकर लोगों की अदालत में आ जाइए..."
साथ ही राम माधव के इस बयान पर उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि मैं आपको चैलेंज करता हूं कि इन आरोपों को सिद्ध करके दिखाएं। आपके पास RAW-NIA-CBI है, जांच कर पब्लिक डोमेन में ला सकते हैं। या तो इन आरोपों को साबित करें अन्यथा माफी मांगें।
इस पर राम माधव ने जवाब दिया कि वह उनकी देशभक्ति पर सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं। लेकिन पीडीपी-एनसी के बीच अचानक उमड़ा प्रेम और सरकार बनाने की जल्दबाजी इस प्रकार के बयान दिलवा रही है।
राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि मेरी बात पीडीपी से हुई थी, मेरे पास ये सबूत नहीं है कि राज्यपाल ने कैसे हमारे दावे को ठुकराया। क्योंकि पीडीपी आगे की बात कर रही थी। महबूबा जी ने राज्यपाल को फैक्स किया था। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ राज्य की बेहतरी के लिए साथ आने को तैयार हुए और आगे भी तैयार रहेंगे। लोकतंत्र में संख्या सबसे जरूरी होती है, हमारे पास संख्या थी।
अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि, "राज्यपाल ने कहा कि अलग-अलग सोच रखने वाले एक साथ कैसे आ सकते हैं, तो मैं पूछता हूं कि क्या उन्होंने यह सवाल पहले पीडीपी और भाजपा से नहीं पूछा था... हमारे, पीडीपी और कांग्रेस के बीच मतभेद कम है, पीडीपी व बीजेपी की तुलना में। हम तो एक साथ अपने मन से आ रहे थे, सो, हम पर यह आरोप कैसे लग सकता है।"
बता दें कि बुधवार शाम को महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, एनसी के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी। जिसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का ऐलान किया।