जम्मू-कश्मीर में दिनभर चली गहमा-गहमी के बाद सरकार बनाने की कोशिश में जुटी पीडीपी-एनसी और कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया है। इससे पहले पीडीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा था। पीडीपी ने यह पत्र फैक्स के जरिए राज्यपाल कार्यालय में भेजा था। हालांकि मुफ्ती ने ट्विटर पर जानकारी दी कि यह फैक्स राज्यपाल कार्यालय की तरफ से रिसीव नहीं किया गया है और न ही राज्यपाल फोन उठा रहे हैं। वहीं, कुछ देर बाद पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भाजपा के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। अब राज्यपाल के इस कदम से सभी दलों की सरकार बनाने की कोशिश पर पानी फिर गया है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में आने वाले दिनों में बड़े सियासी भूचाल की आशंका है।
महबूबा मुफ्ती ने किया था सरकार बनाने का दावा
इससे पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) चीफ और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कुल मिलाकर 56 विधायकों के साथ यह दावा किया।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, ‘जैसा कि आपको ज्ञात है कि पीडीपी 29 विधायकों के साथ राज्य विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है। मीडिया के माध्यम से आपको जानकारी मिली होगी कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस भी सरकार बनाने के लिए हमें समर्थन देंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15, कांग्रेस के 12 और हमारे विधायकों को मिलाकर हमारे पास 56 विधायकों की कुल संख्या है।‘
दिनभर रही गहमा-गहमी
इससे पहले जम्मू और कश्मीर में बुधवार को सियासी गलियारों में काफी गहमा-गहमी देखी गई। पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के नेताओं के बीच ताबड़तोड़ बैठकों के चलते राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गईं। इन बैठकों के जरिए राज्य में नई सरकार बनाने के लिए गठबंधन तैयार करने पर बात हुई। राज्य में विधानसभा निलंबित चल रही है और 19 जून से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ है।
विधानसभा की स्थिति
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28 विधायक, एनसी के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। साथ ही बीजेपी के 25 विधायक हैं।
एनसी ने 2014 में विधानसभा चुनावों के बाद पीडीपी को समर्थन देने की बात कही थी लेकिन पीडीपी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा कर भाजपा से गठजोड़ कर लिया था।
माना जाता है कि 19 जून को सरकार गिरने के बाद पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने बीजेपी और नाराज पीडीपी विधायकों के साथ मिलकर गठजोड़ बनाने की कोशिश की थी। पीपल्स कांफ्रेंस के यहां दो विधायक है।