चुनाव में हार-जीत और देश-विदेश से मिल रहे बधाई संदेशों के बीच देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के आइकन नरेंद्र मोदी की ओर से एक बड़ी बात कही गई है। मोदी ने जहां भाजपा समेत एनडीए की जीत को ‘भारत की जीत’ कहा। वहीं, उनके अब तक के ताजा ट्वीट में देखने को मिल रहा है कि उन्होंने अपने नाम के पहले से ‘चौकीदार’ शब्द हटा दिया है।
राहुल को मांगनी पड़ी थी माफी
दरअसल, मौजूदा लोकसभा चुनाव 2019 में चौकीदार शब्द का बहुत बोलबाला रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब पिछले दिनों खुद को देश के रक्षक के रूप में पेश करते हुए ‘चौकीदार’ की खिताब से न केवल नवाजा, बल्कि वे बाकायदा ट्विटर वगैरह पर अपने नाम के आगे इसे लगाकर ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’ लिखने लगे थे। उनके खुद को चौकीदार घोषित करने और लिखने के बाद इसे लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएं हुईं थीं। एक तो उनके चौकीदार कहने के बाद भाजपा की विरोधी पार्टी और करीब-करीब विपक्ष की अगुआई करने वाले देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने आलोचनात्मक भाषणों में अनेक मुद्दों का हवाला देते हुए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने लगे, दूसरी ओर इसके जवाब में भाजपा नेताओं ने भी अपने नाम के पहले ‘चौकीदार’ लगाना शुरू कर दिया और कहा कि हमसब देश के चौकीदार (प्रधानमंत्री) के साथ हैं। हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी की, तो उन्हें अपने इस कथन पर माफी मांगनी पड़ी।
नाम के आगे से ‘चौकीदार’ हटाया
लेकिन पूरे चुनाव के दौरान यह शब्द सत्ता पक्ष और विपक्ष के नोक-झोंक का अस्त्र बना रहा। प्रधानमंत्री मोदी और उनके समर्थकों की ओर से जहां चौकीदार का उद्घोष जारी रहा, वहीं राहुल गांधी भी प्रकारांतर से ये मुहिम चलाते रहे। मीडिया के लोग जब उनसे पूछते कि आप प्रधानमंत्री के लिए अभी ‘चौकीदार चोर है’ का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वे ‘चौकीदार’ बोलकर भीड़ की ओर रुख करते तो वहां से ‘चोर है’ की आवाज आती सुनाई पड़ती और कांग्रेस अध्यक्ष कहते, ‘देखिए ये मैं नहीं कह रहा हूं, बल्कि जनता कह रही है। लेकिन अब जब प्रधानमंत्री ने खुद इस विवाद में रहे शब्द को अपने नाम के आगे से हटा लिया है, तो इस पर विराम लगने की संभावना है। इस बीच राहुल गांधी ने अमेठी से अपनी हार स्वीकार करते हुए अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा की स्मृति ईरानी को न सिर्फ जीत की बधाई दी है, बल्कि सूत्रों की मानें तो देश में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी की है। हालांकि वे खुद इस बांत से इनकार कर कह रहे कि ये मेरे और पार्टी के बीच का मामला है।