असम के संयुक्त विपक्षी मंच (यूओएफए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने तथा अपने बयानों से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का आरोप लगाया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुख्यमंत्री को पद से हटाने की मांग की।
कांग्रेस से लोकसभा सदस्य प्रद्युत बोरदोलोई और यूओएफए के महासचिव लुरिनज्योति गोगोई के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने यहां राजभवन में राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में मुख्यमंत्री ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए विधानसभा समेत अन्य स्थानों में भड़काऊ बयान दिए हैं।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि लगभग एक वर्ष पहले शर्मा ने कुछ युवकों को गुवाहाटी से उन अल्पसंख्यकों को बाहर निकालने के लिए उकसाया था, जो सब्जी विक्रेता, रिक्शा चालक, निजी चालक और निर्माण मजदूर के रूप में काम कर रहे थे।
इसके अतिरिक्त, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने नगांव जिले के बटाद्रवा में मुसलमान परिवारों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी तथा उन्हें मुआवजा देने का आदेश दिया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि नगांव जिले के धींग में एक युवती के साथ बलात्कार की घटना के बाद, ‘मुख्यमंत्री ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की कोशिश की, जिसके कारण शिवसागर में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों पर हमला किया।’
कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि संसद में पेश केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पुलिस मुठभेड़ में होने वाली मौतें सबसे अधिक हैं वहीं शर्मा के शासन के दौरान हत्या, डकैती और बलात्कार की घटनाएं बढ़ी है।
यूओएफए ने यह भी दावा किया कि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 2016-23 के बीच भाजपा शासन के दौरान बलात्कार के 17,657 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले सात महीनों में बलात्कार के 580 नए मामले दर्ज किए गए जिनमें से 15 घटनाएं सिर्फ अगस्त में हुईं।
बोरदोलोई और गोगोई के अलावा ज्ञापन पर कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष भूपेन बोरा, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया, लोकसभा सदस्य रकीबुल हुसैन आदि ने हस्ताक्षर किए।