प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी की कमी को एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा है कि इसके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है इसलिए जल संचयन के सरकारी अभियान से सबका जुड़ना जरूरी है। वहीं, उन्होंने इशारों में तमिलनाडु का भी जिक्र कर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि तमिल भाषा नहीं सीखने का दुख होता है। ये दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है।
पीएम मोदी ने रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में आगे कहा कि जल संकट के प्रति हमें अपनी सामूहिक जिम्मेदारी को समझना होगा और बरसात के दिनों में बेकार होने वाले पानी के संरक्षण के वास्ते अभी से प्रयास शुरू करने होंगे। उनका कहना था कि वर्षा जल संचयन के लिए अभी से अभियान चलाकर बारिश के पानी को बेकार बहने से बचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मई-जून में बारिश का मौसम शुरू होता है और वर्षा का जल बेकार नहीं हो इसलिए गांव में तालाबों, पोखरों आदि की सफाई कर जल स्रोतों तक जाने वाले पानी की सारी रुकावटें दूर की जानी चाहिए ताकि वर्षा के जल का संचयन कर जल संकट को दूर किया जा सके।
पीएम मोदी ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय वर्षा जल संरक्षण के लिए जल्द ही अभियान शुरू कर रहा है और इस अभियान के तहत वर्षा के बेकार होने वाले पानी का संचयन किया जाएगा और इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान में समाज के सभी वर्गों को हिस्सा लेना चाहिए और सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए जल संकट का खुद ही समाधान निकालना चाहिए।