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जगन मोहन रेड्डी के बाद ममता बनर्जी का चुनावी अभियान संभाल सकते हैं प्रशांत किशोर

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय...
जगन मोहन रेड्डी के बाद ममता बनर्जी का चुनावी अभियान संभाल सकते हैं प्रशांत किशोर

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से गुरुवार को मुलाकात की। प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी के चुनावी अभियान पर काम कर सकते हैं। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत दिलाने के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था। ममता और किशोर के बीच दो घंटे बैठक हुई।

लोकसभा चुनावों में बंगाल में बीजेपी को 18 सीट मिलने के बाद ममता बनर्जी को जमीन दरकने की आशंका सता रही है। लिहाजा विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती।

जगन की जीत में बड़ी भूमिका

प्रशांत किशोर जाने-माने चुनावी रणनीतिकार हैं। विधानसभा चुनावों में अपनी रणनीति से उन्होंने आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू को सत्ता से बाहर कर दिया। उनकी चुनावी स्ट्रैटजी की बदौलत जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतीं और विधानसभा में 175 में से 150 सीटों पर कब्जा जमाया।

2014 में मोदी के रणनीतिकार थे प्रशांत

प्रशांत किशोर ने 2012 गुजरात चुनाव में मोदी के लिए काम किया। हालांकि, उनका नाम देश में चर्चित तब हुआ, जब 2014 के आम चुनाव में उन्होंने भाजपा के चुनावी अभियान का जिम्मा संभाला। इन चुनावों में भाजपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल किया। पार्टी को 282 सीटें मिलीं। यह पहली बार था कि किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।

बिहार में नीतीश का चुनाव अभियान संभाला

बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में किशोर ने नीतीश कुमार का चुनावी अभियान संभाला। इन चुनावों में नीतीश को 71 सीटें मिली थीं। बताया जाता है कि किशोर ने ही रणनीति, अभियान और गठबंधन की योजना को अंजाम दिया था। चुनाव जीतने के बाद नीतीश ने किशोर को अपना सलाहकार बनाया था ताकि चुनाव के वक्त जिस 7 सूत्रीय एजेंडा को लागू करने का वादा किया गया है, उसे अंजाम दिया जा सके।

यूपी में कांग्रेस को सफलता नहीं दिलवा पाए

2017 में पंजाब और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किशोर ने कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार की। हालांकि, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को महज 7 सीटें मिली थीं। यहां किशोर की रणनीति पर जो भरोसा पार्टी ने जताया था, वैसे नतीजे सामने नहीं आए। वहीं, पंजाब में 117 सीटों में से कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली और पार्टी ने सरकार बनाई।

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