कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर बेराजगारी के मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन के बयान का का सहारा लेते हुए कहा कि रोजगार को लेकर हम पिछले दो साल से जो दावे कर रहे हैं, उस पर पॉल क्रुगमैन ने भी मुहर लगाई है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा, 'नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने भी इस बात की पुष्टि की है, जो हम पिछले दो वर्षों से कह रहे हैं। भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती बेरोजगारी की है। दुर्भाग्य से हमारे पास एक ऐसा पीएम है, जो इसे जो इसे स्वीकारते ही नहीं हैं। उन्हें डर है कि उनका 'अच्छे दिन' का शिगूफा फूट जाएगा।'
The Nobel prize winning economist, Paul Krugman confirms what we’ve been saying for over two years now. Mass unemployment is the biggest threat India faces. Unfortunately, we have a PM who lives in denial. Afraid his"Acche Din" PR will take a beating. https://t.co/SmnTXQ8Rx6
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 19, 2018
इस ट्वीट के साथ राहुल ने अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन के बयान की एक रिपोर्ट भी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि 2008 में नोबेल पुरस्कार पाने वाले अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने भारत को लेकर उम्मीद के साथ-साथ चिंताएं जाहिर करते हुए कहा था कि भारत वैश्वीकरण की नई ऊंचाइयों को छू सकता है, या नहीं तो इसे बड़े पैमान पर बेरोजगारी का मुंह देखना पड़ सकता है।
भारत की बड़ी संख्या में कामगार आबादी की ओर इशारा करते हुए न्यूज़18 के राइजिंग इंडिया समिट में नोबेल पुरस्कार विजेता क्रुगमैन ने कहा कि बड़ी संख्या में प्रोडक्टिव तरीके से काम करने वाले लोग ही अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं, लेकिन जब उनके हाथों को काम मिलेगा। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भारत काफी पीछे है, जो कि इसके विकास की प्रक्रिया के विपरीत काम कर सकता है। बढ़ती हुई जनसंख्या का पोषण करने के लिए जरूरी नौकरियां भारत के पास नहीं हैं। आपको उनके लिए नौकरियां खोजनी होंगी।'
समिट के दौरान क्रुगमैन ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि अपनी जनसंख्या की बढ़ती उम्र के कारण जापान अब सुपर पावर नहीं रहा। चीन की भी यही हालत है, लेकिन इसके विपरीत भारत के साथ ये स्थिति नहीं है, इसलिए भारत एशिया में ये नेतृत्व अपने हाथों में ले सकता है। पर इसके लिए भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में का भी विकास करना होगा।