भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों पर अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह यात्रा किसी एक धर्म या जाति से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा कि कांवड़िये जब किसी से कोई सेवा मांगते हैं तो वे किसी से उसका धर्म नहीं पूछते, न ही इस मामले (तीर्थयात्रा) को किसी धर्म से जोड़ा जाना चाहिए।
मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों पर अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश के कुछ दिनों बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को पूरे राज्य में विवादास्पद आदेश लागू कर दिया। इस आदेश की विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने आलोचना की है, जिनका कहना है कि यह मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाता है।
राज्यसभा सदस्य चौधरी ने यहां संवाददाताओं से कहा, "ऐसा लगता है कि यह आदेश बिना सोचे-समझे लिया गया है और सरकार इस पर अड़ी हुई है, क्योंकि निर्णय लिया जा चुका है।" उन्होंने कहा, "अभी भी समय है। इसे (वापस लेना) होना चाहिए या सरकार को इसे (लागू करने) पर ज़्यादा ज़ोर नहीं देना चाहिए।"
भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल पार्टी के नेता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या किसी को अपने धर्म की पहचान के लिए अपने कपड़ों पर नाम का टैग लगाना चाहिए। उन्होंने कहा, "इन पहचान-पत्रों को रखने के लिए कोई कहां-कहां जाएगा! क्या हमें अब नाम का टैग भी पहनना चाहिए? ताकि पता चले कि किससे हाथ मिलाना है?"