एक निशान, एक विधान और एक प्रधान के नारे को अमल में लाते हुए हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटा दिया। साथ ही श्रीनगर सचिवालय में लगा जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा भी हटा दिया गया। वहां अब सिर्फ तिरंगा लहरा रहा है। अब तक जम्मू-कश्मीर के सरकारी कार्यालयों में दो झंडे होते थे। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जहां एक ही देश में अलग झंडे का महत्व खत्म हो गया है, वहीं एक अन्य राज्य नगालैंड में अलग झंडे और अलग संविधान की मांग उठने लगी है।
मोदी सरकार से शांति वार्ता कर रही नगा संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर राज्य के लिए एक अलग झंडे और अलग संविधान की मांग कर दी है।
एनएससीएन (आई-एम) का कहना है कि 3 अगस्त, 2015 को हुए समझौते पर दस्तखत के बाद नगा समुदाय के अनूठे इतिहास और स्थिति को 22 साल से चल रही पुरानी शांति प्रक्रिया में आधिकारिक पहचान मिली। हालांकि संगठन का कहना है कि इस फ्रेमवर्क अग्रीमेंट पर मुहर लगे तीन साल हो चुके हैं लेकिन अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
14 अगस्त को फहराया गया था नगालैंड में अलग झंडा
पिछले दिनों नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने 14 अगस्त को म्यांमार सहित नागा-आबादी वाले क्षेत्रों में 73वां नगा स्वतंत्रता दिवस मनाया और नगा राष्ट्रीय ध्वज फहराया। एनएसएफ के प्रेसिडेंट निनोतो अवॉमी ने कहा कि कोहिमा में नगा सॉलिडैरिटी पार्क और नगा आबादी वाले अन्य क्षेत्रों में एक साथ 14 अगस्त को सुबह 11 बजे नगा नेशनल फ्लैग फहराने के पीछे किसी भी तरह का राजनीतिक संदेश नहीं है। यह आयोजन हमारी पहचान है। आयोजन का मतलब ये नहीं है कि हम भारत के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि नगालैंड के कमिश्नर हमारे पास आए और हमारे कार्यक्रम के बारे में पूछा। हमने उनसे कहा कि नागा पहचान के ऐसा कर रहे हैं और इसमें भारत के खिलाफ जैसा तो कुछ भी नहीं है।
कैसा है यह झंडा
14 अगस्त को जो झंडा फहराया गया है उसमें आसमानी रंग के बैकग्राउंड में एक सफेद रंग का सितारा ऊपरी हिस्से में बना हुआ है और एक तीन रंग (लाल, पीला, हरा) की इंद्रधनुषनुमा आकृति दिख रही है। यह कुछ वैसा है जैसा कि नेशनल सोशल काउंसिल ऑफ नगालैंड के इसाक-मुइवा गुट द्वारा इस्तेमाल किया गया था, जो कि शांति समझौते के रूप में एक अलग झंडे की मांग कर रहा है।