कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद भी वहां राजनीतिक हलचल तेज है। विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। के आर रमेश कुमार ने बताया कि तीन विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी गई है। इनमें से एक निर्दलीय और दो कांग्रेस के विधायक हैं। इनमें निर्दलीय विधायक आर शंकर के अलावा कांग्रेस के रमेश एल जरकीहोली और महेश कुमाथल्ली के नाम शामिल हैं। स्पीकर ने यह भी कहा कि विधायकों के इस्तीफे का मामला काफी जटिल है, ऐसे में वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि 10वीं अनुसूची के एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत इनकी सदस्यता समाप्त की गई है।
स्पीकर बोले- बागियों को दूसरा मौका नहीं मिलेगा
के आर रमेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि वह अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करेंगे और सुप्रीम कोर्ट ने जो भरोसा उनमें दिखाया है, उसे वह बरकरार रखेंगे। उन्होंने कहा कि बागी विधायकों को उनके समक्ष उपस्थित होने का अब और मौका नहीं मिलेगा और अब यह अध्याय बंद हो चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर पर छोड़ा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई के आदेश में कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष दल-बदल विरोधी कानून के अनुसार बागियों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन बागियों ने विधानसभा में मतदान में भाग नहीं लिया। 3 जजों की पीठ ने यह भी कहा था कि बागियों को सदन में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जब उनके इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 11 जुलाई से लंबित हैं।
इस्तीफों पर फैसले में ज्यादा देरी हुई तो फिर SC जा सकते हैं बागी
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफों पर फैसला लेने में ज्यादा समय लेने पर बागी विधायकों के शीर्ष अदालत से इसमें दखल के लिए संपर्क किए जाने की संभावना है। बागी विधायकों की अदालत के समक्ष 10 जुलाई की याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को तत्काल इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
बागियों के इस्तीफे पर स्पीकर के फैसले का इंतजार कर रही बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता जी मधुसूदन ने कहा था, 'इस्तीफों के स्वीकार किए जाने तक विधानसभा का संख्या बल 225 बना रहेगा, इसमें एक नामित सदस्य भी शामिल है, जैसा कि बागी भी अभी सदस्य हैं, इस तरह से साधारण बहुमत के लिए 113 संख्या जरूरी है। दो निर्दलीयों के समर्थन से हमारी संख्या 107 है, जो बहुमत से 6 कम हैं।' अगर विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं या सदस्यों को अयोग्य करार देते हैं तो विधानसभा का संख्या बल घटकर 210 हो जाएगी और आधी संख्या 106 हो जाएगी, जिससे बीजेपी दो निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बनाने में सक्षम होगी।
मधुसूदन ने कहा था, 'अगर विधानसभा अध्यक्ष व शीर्ष अदालत को फैसले में समय लगता है तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं और विधानसभा को निलंबित रख सकते हैं, तब हम दावा करने की स्थिति में हो सकते हैं और अपने बहुमत पर सरकार बना सकते हैं।' अगर बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया जाता है या वे अयोग्य करार दिए जाते हैं तो 15 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 6 महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे।
बीजेपी कर रही है इंतजार
बीजेपी ने कुमारस्वामी सरकार गिरने के बाद अभी तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है। राज्य के पूर्व सीएम और वरिष्ठ बीजेपी नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा था कि वह शीर्ष नेतृत्व के हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, दिल्ली में अमित शाह के साथ कर्नाटक के बीजेपी नेताओं की बैठक भी हुई है।