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नोटबंदी पर वाड्रा ने साधा मोदी पर निशाना

पिछले लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने टूजी, कोलजी और जीजाजी यानी रॉबर्ट वाड्रा के जमीन घोटालों की खूब चर्चा की थी और इसके कारण लोगों में कांग्रेस के प्रति नाराजगी भी खूब थी। अब वाड्रा को बदला चुकाने का मौका मिला है।
नोटबंदी पर वाड्रा ने साधा मोदी पर निशाना

नोटबंदी को लेकर आम जनता को हो रही परेशानी पर वाड्रा ने फेसबुक पोस्ट के जरिये मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, 'बैंकों और एटीएम के सामने लगी कतारें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। लोग ठंड से लड़ते हुए अपनी मेहनत से कमाई गई रकम को निकालने के लिए कई दिनों तक इंतजार कर रहे हैं। एक महीने से ज्यादा वक्त नहीं हो गया? एक लड़की ने आत्महत्या कर ली क्योंकि वह कॉलेज फीस जमा करवाने के लिए पैसे नहीं निकाल सकी। एक शख्स कतार में मर गया और कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया।...दिल दुखाने वाली न जाने और कितनी कहानियां।' 

वाड्रा ने लिखा, 'पहले हमें कहा गया कि यह कालेधन को खत्म करने के लिए है। फिर आतंकवाद बताया गया। अब हमसे कहा जा रहा है कि ऐसा कैशलेस समाज बनाने के लिए किया जा रहा है। जो भी हो, लेकिन क्या एक शख्स के अहंकार को संतुष्ट करने के लिए इतने सारे लोगों को तकलीफ नहीं उठानी पड़ी, लोगों को अपनी आजीविका और अपनी जिंदगी नहीं गंवानी पड़ी?'

 

कार्ड से भुगतान लें डॉक्टरः सरकार

मरीजों से सिर्फ नकद भुगतान लेने वाले डॉक्टरों पर अब सरकारी शिकंजा कस रहा है। सरकार ऐसे डॉक्टरों की पहचान कर रही है। ऐसे डॉक्टरों को स्वाइप मशीनें लगाने की सलाह भी दी गई है। सरकार इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मदद भी लेने की तैयारी में है। गौरतलब है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और सीबीआई ने देश भर में कई जगहों पर छापेमारी कर अरबों की नई करेंसी भी बरामद की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संदर्भ में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर सूचित किया है। इस पत्र के अनुसार के डॉक्टरों के खातों में केवाईसी के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा था।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंकों को केवाईसी का सख्ती से पालन होना चाहिए। आरबीआई ने कहा कि यह नियम उन दोनों तरह के खातों पर लागू होंगे - जिन खातों में 5 लाख रुपये या उससे ज्यादा का बैलेंस हो या नवंबर 2016 के बाद कुल जमा रकम 2 लाख रुपये से ज्यादा हो।

 

सरकार को अंदेशा, बैंकों में जमा रकम की गिनती में हुई गलती

 

सरकार को लगता है कि नोटबंदी के बाद बैंकों के पास जो पैसा आया है, शायद उनकी गिनती ठीक से नहीं हुई है। बैंकों के पास बैन हो चुके 13 लाख करोड़ रुपये के नोट आ चुके हैं। इस तरह से जितनी करंसी को कैंसल किया गया था, वह पूरी रकम उन्हें मिल चुकी है, जबकि पुराने नोटों को जमा कराने की डेडलाइन 30 दिसंबर है। सरकार ने रिजर्व बैंक और बैंकों से जमा कराए गए नोटों को फिर से चेक करने को कहा है। केंद्र को उम्मीद है कि करेंसी की सप्लाई में जल्द सुधार होगा। 9 नवंबर के बाद से सिस्टम में 5 लाख करोड़ रुपये डाले जा चुके हैं। अब 500 रुपये के नए नोटों की सप्लाई बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने बताया, ‘आरबीआई ने बताया है कि 12.5 लाख करोड़ रुपये बैंकों के पास आ चुके हैं। हमें लगता है कि इसमें डबल काउंटिंग की गलती हुई है। इसलिए हमने आरबीआई और बैंकों से इसे चेक करने को कहा है।’ 500 और 1,000 रुपये के जिन पुराने नोटों को कैंसल किया गया था, उनकी वैल्यू 15.4 लाख करोड़ रुपये है।

दास ने बताया कि नोटबंदी के बाद 5 लाख करोड़ रुपये की करंसी सिस्टम में डाली जा चुकी है। उन्होंने बताया, ‘करंसी सप्लाई में काफी सुधार हुआ है। आने वाले 2-3 हफ्तों में हालात और बेहतर होंगे क्योंकि 500 के नए नोटों की सप्लाई बढ़ेगी।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि 30 दिसंबर के बाद इस मामले में हालात खराब होने की आशंका नहीं है। बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की पाबंदी 30 दिसंबर तक लगाई गई है। बैंकों से एक हफ्ते में 24,000 रुपये और एटीएम से प्रति दिन 2,500 रुपये निकालने की लिमिट है। ऐसे संकेत मिले हैं कि इनमें आगे जाकर ढील दी जाएगी, लेकिन पाबंदी को पूरी तरह खत्म नहीं किया जाएगा। रिजर्व बैंक का ध्यान अब 500 रुपये के नए नोटों की प्रिंटिंग पर है। इसलिए अगले 2-3 हफ्तों में करंसी की सप्लाई बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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