भाजपा ने गुरुवार को विपक्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अक्सर हिंसा भड़काने वाली टिप्पणियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए भाषणों में 'मौत' और 'हिंसा' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विपक्ष को अपने राजनीतिक विमर्श में शालीनता और गंभीरता बनाए रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे भड़काऊ शब्दों के इस्तेमाल से समाज पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, हिंसा को बढ़ावा मिलता है और अनावश्यक तनाव बढ़ता है। उन्होंने कहा, "सार्वजनिक जीवन में शब्दों का चयन बहुत महत्वपूर्ण होता है। विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली टिप्पणियां गंभीर चिंता का विषय हैं।"
मंत्री और भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के लेख का हवाला देते हुए कहा कि अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बयानबाजी कभी-कभी हिंसा भड़काती है। त्रिवेदी ने अपनी बात रखने के लिए जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या और हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले का जिक्र किया।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने संसद में हिंसा और हत्या जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के काफिले पर कुछ सामान फेंके जाने को प्रधानमंत्री के प्रति लोगों के डर के खत्म होने का सबूत बताया। उन्होंने कहा कि जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, तब मोदी की सुरक्षा खतरे में थी। उन्होंने इसकी तुलना कश्मीर और मणिपुर जैसे संवेदनशील स्थानों पर राहुल गांधी को दी गई सुरक्षा से की।
त्रिवेदी ने कहा कि मोदी को टुकड़े-टुकड़े करने की बात करने वाला व्यक्ति अब कांग्रेस का सांसद है और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने ही 2007 में उनके खिलाफ 'मौत का सौदागर' शब्द का इस्तेमाल किया था, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कभी भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत की कामना नहीं की, भले ही उन्होंने आपातकाल लगाया हो।
त्रिवेदी ने कहा कि विपक्ष के नेता के तौर पर गांधी को अपने भाषणों में परिपक्वता दिखानी चाहिए और ऐसा न करने वाला व्यक्ति राजनीति के लायक नहीं है। इस संदर्भ में त्रिवेदी ने इशरत जहां मामले का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को रिपोर्ट करने वाली सीबीआई ने राजनीतिक कारणों से अपने पहले हलफनामे में उसे आतंकवादी बताया था, क्योंकि वह मोदी को निशाना बना रही थी। 2004 में गुजरात पुलिस ने उसे और उसके साथियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अक्सर अलगाववादियों और आतंकवादियों का समर्थन किया है, लेकिन अब वह उन्हीं की भाषा बोल रही है।