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बंगाल में दो 'भाजपा', मोदी-शाह के लिए परेशानी बने शुभेंदु, क्या करेंगे ?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के संपन्न हुए एक महीने से अधिक समय हो चुके हैं। एक बार फिर से मुख्यमंत्री...
बंगाल में दो 'भाजपा', मोदी-शाह के लिए परेशानी बने शुभेंदु, क्या करेंगे ?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के संपन्न हुए एक महीने से अधिक समय हो चुके हैं। एक बार फिर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार बनी है। वहीं, विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बंगाल भाजपा में घमासान लगातार जारी है। आलम ये हो चला है कि बंगाल में दो भाजपा नजर आ रही है। यानी कि एक वो भाजपा नेता और समर्थक जो पहले से हीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं। और दूसरे वो खेमे जो हाल हीं टीएमसी से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए हैं। ये घमासान दिलीप घोष की भाजपा और विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेन्दु अधिकारी की भाजपा में मचा हुआ है। अमर उजाला के मुताबिक बंगाल भाजपा के एक उपाध्यक्ष का कहना है कि यही हाल रहा तो वह सब घर बैठ जाएंगे। वहीं, भाजपा की महिला विधायक का कहना है कि हारने के बाद स्थिति खराब हो गई है। 

दरअसल, भाजपा विधायकों के मुताबिक उनके जमीनी कार्यकर्ता अब पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। भाजपा में फुंट नजर आ रही है। भाजपा के पुराने लोग भी सुवेन्दु अधिकारी और तृणमूल से आए नेताओं के रवैये से खुश नहीं हैं। अमर उजाला के मुताबिक भाजपा पार्टी विधायकों का कहना है कि तृणमूल से आए पांच छह विधायक ही चुनाव जीते हैं। सुवेंदु अधिकारी के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर भी पुराने नेताओं को आपत्ति है। भाजपा नेताओं का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए किसी पुराने भाजपाई की बजाय सुवेन्दु को क्यों चुना गया। 

नाराजगी का मुख्य कारण यही माना जा रहा है। अमर उजाला को भाजपा की एक नेता बताया हैं कि उन्हें चुनाव में पार्टी के ही नेताओं ने हराने की कोशिश की है। हालांकि, वो चुनाव जीत गईं। आगे उन्होंने बताया है कि जब तृणमूल से भाजपा में आने के लिए प्रयास कर रहे एक नेता की इंट्री के खिलाफ अपनी राय रखी तो उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 

वहीं, भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष अग्निमित्रा पॉल ने अमर उजाला से कहा है कि राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा अभी भी बड़ा मसला है। महीनों से लोग घर छोड़कर गायब हैं। हमें लड़कियों, महिलाओं की वापसी के लिए तृणमूल के विधायकों से गुहार लगानी पड़ रही हैं।

 

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